Delhi MCD Mayor Election: दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) के नए मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए सोमवार को तीसरी बार सदन की बैठक होने जा रही है. अब तक दो बैठकों में हंगामा होने के चलते चुनाव नहीं हो सका था. इस बीच, मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. हालांकि, कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया है, जिसके बाद AAP की मेयर कैंडीडेट शैली ओबेरॉय ने याचिका वापस ले ली है. अब सोमवार को सदन की बैठक फिर हंगामेदार होने के आसार हैं.
बता दें कि उपराज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली नगर निगम ने सोमवार (6 फरवरी) को सदन की बैठक बुलाई है. DMC अधिनियम 1957 के अनुसार, मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव निकाय चुनावों के बाद होने वाले पहले सदन में होता है. बहरहाल, नगर निकाय चुनाव हुए दो महीने हो चुके हैं और दिल्ली को अभी मेयर मिलना बाकी है. 6 जनवरी और 24 जनवरी को हुए पहले दो सत्र पीठासीन अधिकारी ने बीजेपी और AAP के सदस्यों के बीच हंगामे और तीखी नोकझोंक के बाद मेयर का चुनाव कराए बिना स्थगित कर दिए थे. उसके बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 6 फरवरी को मेयर चुनने के लिए MCD का सत्र बुलाने की मंजूरी दी है.
MCD चुनाव में AAP को मिला है बहुमत
दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने LG से 6 फरवरी की तारीख तय करने की सिफारिश की थी. अब सोमवार को मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों के चुनाव के लिए पार्षद मतदान करेंगे. इससे पहले MCD के 250 वार्डों में काउंसलर के लिए 4 दिसंबर को मतदान हुआ था. 7 दिसंबर को नतीजे आए और AAP ने 134 सीटें जीतीं और MCD में बीजेपी के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया था. BJP को 104 सीटों पर जीत मिली थी.
पहले सत्र में हंगामा, दूसरे में पार्षदों ने ली थी शपथ
6 जनवरी को सदन का पहला सत्र बुलाया गया, लेकिन हंगामा होने से चुनाव नहीं हो सका. उसके बाद 24 जनवरी को दूसरे सत्र में मनोनीत सदस्यों के बाद निर्वाचित सदस्यों ने शपथ ली. इस दौरान बीजेपी सदस्यों ने AAP और अरविंद केजरीवाल के विरोध में नारेबाजी की और चैंबर से बाहर चले गए. वहीं, AAP सदस्यों ने करीब पांच घंटे तक सदन में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया. पीठासीन अधिकारी और बीजेपी पार्षद सत्य शर्मा ने सदन को अगली तारीख तक के लिए स्थगित कर दिया था.
AAP ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका
राज्यसभा सांसद संजय सिंह समेत AAP के वरिष्ठ नेताओं ने सदन से बाहर आने के बाद कहा कि मेयर का चुनाव नहीं होने देने से भाजपा लोकतंत्र का गला घोंट रही है और एक खतरनाक परंपरा की शुरुआत कर रही है. आप नेता और पार्टी विधायक आतिशी ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के छह सदस्यों के चुनाव जल्द से जल्द सुनिश्चित करने की अपील की थी. बाद में AAP की मेयर उम्मीदवार शैली ओबेरॉय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और जल्द मेयर का चुनाव कराने की मांग की. अब मेयर के चुनाव के लिए सदन का तीसरा सत्र सोमवार को होने जा रहा है.
AAP और BJP के बीच मुकाबला
MCD की स्थायी समिति के 6 सदस्य भी सदन के दौरान चुने जाने हैं. मेयर चुनाव में AAP की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय हैं. जबकि बीजेपी की रेखा गुप्ता उम्मीदवार हैं. डिप्टी मेयर के लिए बीजेपी से कमल बागड़ी और AAP से आले मोहम्मद इकबाल उम्मीदवार हैं. स्टैंडिंग कमेटी के 6 सीटों पर 7 उम्मीदवार हैं. इनमें बीजेपी से कमलजीत शेहरावत, गजेन्द्र दराल और पंकज लूथरा का नाम है. AAP से आमिल मलिक, रमिंदर कौर, मोहिनी जीनवाल और सारिका चौधरी का नाम है.
जानिए MCD में स्टैंडिंग कमेटी का रोल...
स्थाई समिति एमसीडी की सबसे पावरफुल कमेटी होती है जिसके पास ज्यादातर मामलों में सदन से अधिक अधिकार होते हैं. इसलिए 18 सदस्यों वाली स्टैंडिंग कमेटी में जो चेयरमैन बनेगा उसकी हैसियत कामकाज के लिहाज से मेयर से अधिक होगी. वो इसलिए क्योंकि एमसीडी के तमाम वित्तीय और प्रशासनिक फैसले पहले स्थाई समिति में ही लिए जाते हैं जिसपर सदन मुहर लगाता है जो एमसीडी की सर्वोच्च संस्था है. मेयर नगर निगम के सदन की अध्यक्षता करता है जिसकी बैठक महीने में एक बार ही होती है. जबकि स्टैंडिंग कमेटी की बैठक हर हफ्ते होती है. सदन से चुने गए 6 सदस्यों के अलावा स्टैंडिंग कमेटी के लिए जो 12 और सदस्य चुने जाएंगे वो जोन से आएंगे. दिल्ली नगर निगम 12 जोन में विभाजित है और हर जोन से एक-एक सदस्य स्टैंडिंग कमेटी में आता है.
कैसे होता है चुनाव?
मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव बहुमत के आधार पर होता है. यानी एक पार्षद सिर्फ एक ही उम्मीदवार को अपना वोट दे सकता है और उसमें जिस उम्मीदवार को ज्यादा मत मिलेंगे, वही मेयर या डिप्टी मेयर बन जाएगा. इस चुनाव में नामित विधायकों और दिल्ली के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को भी वोटिंग अधिकार होता है. लेकिन इसके साथ ही होने वाला स्टैंडिंग कमेटी सदस्यों का चुनाव बिल्कुल ही अलग है. राज्यसभा चुनावों की तरह यहां आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की तरह सदस्य निर्वचित किए जाते हैं. कुल 6 सदस्यों के चुनाव के लिए प्रिफरेंशियल वोटिंग की जाती है. यानी हर पार्षद उम्मीदवारों की लिस्ट में से अपना प्रिफरेंस चुनता है. अगर फर्स्ट प्रिफरेंस के आधार पर किसी उम्मीदवार को जीत नहीं मिलती तो उसके सेकंड, थर्ड और उसके आगे के प्रिफरेंस की गणना की जाती है.
कब अस्तित्व में आया MCD
राष्ट्रीय राजधानी को 10 साल बाद पूरे शहर के लिए महिला मेयर मिलेगी. 1958 में दिल्ली नगर निगम का गठन हुआ था और उसी साल पहली मेयर के रूप में स्वतंत्रता सेनानी अरुणा आसफ अली चुनी गई थीं. जबकि लॉ स्कॉलर रजनी अब्बी 2011 में MCD के तीन हिस्सों में बंटवारे से पहले आखिरी मेयर थीं. बता दें कि जनवरी 2012 में कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार ने दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बांट दिया था. इसके बाद नॉर्थ दिल्ली (NDMC), साउथ दिल्ली (SDMC) और ईस्ट दिल्ली (EDMC) नगर निगम बन गई थी. प्रत्येक का अपना मेयर होता था. हालांकि, पिछले साल फिर से तीनों को एक कर दिया गया है और दिल्ली नगर निगम (MCD) फिर से अस्तित्व में आ गया है.
MCD में एक साल के लिए होता है मेयर का पद
एमसीडी के सदन का कार्यकाल पांच साल का होता है, लेकिन मेयर का कार्यकाल एक साल के लिए होता है. एमसीडी एक्ट के तहत पहले साल महिला पार्षद को मेयर चुने जाने का प्रावधान है, जबकि डिप्टी मेयर के मामले में कोई नियम नहीं है. इसके बाद दूसरे साल मेयर का पद सामान्य होता है, जिसमें कोई भी पार्षद चुना जा सकता है, लेकिन तीसरे साल मेयर पद दलित समुदाय के लिए रिजर्व होता है. ऐसे में दलित समाज से आने वाला कोई भी पार्षद मेयर चुना जा सकता है, लेकिन चौथे और पांचवें साल मेयर का पद अनारक्षित होता है. एमसीडी की सबसे अधिकार वाली स्थायी समिति के अध्यक्ष पर आरक्षण का प्रावधान नहीं है. इस तरह दिल्ली को इस साल एक महिला मेयर मिलेगी.