देश के सबसे बड़े अस्पताल यानी एम्स अस्पताल के बाहर लोग खुले में सोने को मजबूर हैं. देश के अलग- अलग हिस्सों से यहां इलाज करवाने आए लोग रात के समय यहां एम्स मेट्रो स्टेशन के बाहर खुले में सोते हैं. अस्पताल में रात गुजारने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होने के कारण मजबूर इन लोगों में से किसी को बस स्टॉप पर तो किसी को मेट्रो स्टेशन के बाहर सोना पड़ रहा है. बस स्टॉप और मेट्रो स्टेशन पर सोने वाले इन लोगों में कोई बिहार से इलाज करवाने आया है तो कोई राजस्थान से, लेकिन अस्पताल में पर्याप्त जगह नहीं होने के कारण इन लोगों को सर्दी में इस तरह रात गुजारनी पड़ रही है.
रैन बसेरों में भी जगह नहीं
बिहार के दरभंगा से आए संतोष का कहना है कि हमने रैन बसेरे में सोने के लिए जगह मांगी थी मगर वहां जगह नहीं मिली. एक महिला अपने बच्चे के साथ मेट्रो स्टेशन के बाहर सोयी हैं, जिनका कहना है कि ठंड बढ़ने से परेशानी भी बढ़ गई है, बहुत तकलीफ हो रही है. कहीं भी जगह नहीं मिलने के चलते हमें मजबूरन यहां सोना पड़ रहा है. हमें ना अस्पताल के अंदर जगह मिला और ना ही रैन बसेरे में.
कुल मिलाकर यहां रोजाना ही सैकड़ों लोग इसी तरह मेट्रो स्टेशन और बस स्टॉप के बाहर खुले में सोते हैं. ऐसी स्थिति को देखते हुए भी ना तो DUSIB (दिल्ली अर्बन शेल्टर इमंप्रूवमेंट बोर्ड) रैन बसेरों में जगह बढ़ा रहा है और ना ही एम्स की ओर से कोई व्यवस्था की जा रही है.
DUSIB ने कहा, AIIMS करे मरीजों के रुकने की व्यवस्था
क्या इन लोगों के लिए रैन बसेरे में और जगह नहीं की जा सकती? क्या ये लोग ऐसे ही ठंड में परेशान होते रहेंगे? यही सवाल जब DUSIB की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछा गया तो उनका कहना था कि हमने तो लोगों के लिए पूरी व्यवस्था की है. मगर अब ये जिम्मेदारी एम्स की भी बनती है कि वो अपने मरीजों का ख्याल रखे. खैर जो भी हो भले ही अस्पताल या रैन बसेरा एक दूसरे पर बात टालें, मगर यहां तो ठंड में लोग बीमार हो रहे हैं, जिसके कारण कई बार किसी की मौत भी हो जाती है.