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AIIMS सर्वर हैकिंग के बाद Dark web पर डेटा, साइबर अंडरवर्ल्ड के हाथ लगने का खतरा!

AIIMS भारत का सबसे प्रीमियम अस्पताल है. यहां के सर्वर में दिग्गज नेता और दूसरे बड़ी हस्तियों की मेडिकल हिस्ट्री मौजूद रहती है. इस बीच एम्स के सर्वर पर कथित रूप से चीनी हैकरों का अटैक होता है और फिर जांच में पता चलता है कि डार्क वेब पर एम्स से लीक डाटा को खरीदने के लिए कई लोग उत्सुक हैं.

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AIIMS सर्वर अटैक में चीन का नाम आया सामने (फोटो-आजतक)
AIIMS सर्वर अटैक में चीन का नाम आया सामने (फोटो-आजतक)

दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की गिनती देश के सबसे बड़े अस्पतालों में होती है. इस अस्पताल में वीवीआईपी इलाज कराने  आते हैं. इनमें बिजनेसमैन, नेता शामिल हैं. इन वीवीआईपी हस्तियों का हेल्थ डाटा और मेडिकल हिस्ट्री इस अस्पताल में सेफ रहता है. 

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लेकिन हाल ही में इस अस्पताल पर हुआ सर्वर अटैक और इससे जुड़ी जानकारियां बेहद चिंताजनक है. अबतक की जांच में पता चला है कि इस सर्वर अटैक में चीन की साजिश है. सबसे चिंजाजनक बात यह है कि चीनी हैकरों ने इस डाटा को कथित रूप टे डार्क वेब पर डाल दिया है. डार्क वेब पर साइबर क्राइम में शामिल एंटी सोशल एलिमेंट AIIMS से लीक हुए इस डेटा को खरीदने की तैयारी कर रहे हैं. इनकी बुरी नजर बड़ी हस्तियों और नेताओं के हेल्थ डाटा पर है. 

आजतक की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार डार्क वेब पर एम्स के इस डेटा को लेकर जबर्दस्त हलचल मची है. लोग इस डेटा को सर्च कर रहे हैं. आजतक की रिपोर्ट के अनुसार साइबर की दुनिया के अंडरवर्ल्ड कहे जाने वाले डार्क वेब पर AIIMS डाटा पर 1600 बार सर्च किया गया है. 

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चीन की साजिश, डार्क वेब की काली दुनिया

एम्स पर हुआ साइबर हमला कितना खतरनाक है, इसका क्या असर हो सकता है, ये जानने से पहले हम आपको ये बताना चाहते हैं कि आखिर डार्क वेब है क्या? डार्क वेब की काली दुनिया में होता है. आसान भाषा में समझें तो डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वो अड्डा है जहां अनैतिक और अवैध गतिविधियां होती है. इस पर किसी कानून का नियंत्रण नहीं होता है. डार्क वेब को हैकर-एक्सपर्ट चलाते हैं. 

दरअसल डार्क वेब वर्ल्ड वाइड वेब यानी कि इंटरनेट नेटवर्क  का एक छिपा हुआ हिस्सा है जिसमें सभी छिपे हुए, हैक किए गए और अवैध डेटा मौजूद रहते हैं. हैक किए गए डेटा को यहां अवैध रूप से बेचा और खरीदा जाता है. इस हैक डेटा में निजी तस्वीरें, वित्तीय लेन-देन, मेडिकल हिस्ट्री, देश की सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय सूचनाएं जैसे चीजें शामिल रहती हैं. 

डार्क वेब पर सबकी एंट्री नहीं हो सकती है. इंटरनेट की इस काली दुनिया में साइबर एक्सपर्ट और साइबर क्रिमिनल ही प्रवेश कर सकते हैं. 

AIIMS के 5 सर्वरों को बनाया गया निशाना

AIIMS साइबर अटैक के मामले में अबतक जो जानकारियां सामने आई है उसके अनुसार इस हमले की वजह से निजी डाटा की सेंधमारी की गई है. हैकरों ने एम्स के 5 सर्वर को निशाना बनाया है. सूत्र बताते हैं कि ये हैकिंग चीन से की गई है. 

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दिल्ली पुलिस की IFSO (Intelligence Fusion and Strategic Operations) शाखा ने कहा है कि हैकरों ने कुल 5 सर्वरों को निशाना बनाया था. हालांकि उनका दावा है कि इसमें किसी तरह का डाटा नुकसान नहीं हुआ है. जिन सर्वरों तक हैकरों ने कथित रूप से पहुंच बनाने की कोशिश कि उसकी जांच सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (CFSL) कर रही है.  CFSL की दिल्ली और अहमदाबाद की टीम इस इन्फेक्टेड सर्वर की जांच कर रही है. 

पहली बार IFSO कर रही हैं जांच

सूत्रों के अनुसार क्योंकि ये गंभीर हैकिंग का मामला है इसलिए पहली बार इसकी जांच IFSO द्वारा की जा रही है.  अबतक की जांच में पता चला है कि हैकर कुछ सबूत भी इंटरनेट पर छोड़ गए हैं, इससे IFSO को जांच में आसानी हो रही है. जांच एजेंसियों ने बताया कि इन सबूतों की जांच के बाद ही स्पष्ट रूप से पता चल पाएगा कि इस हैकिंग की उत्पत्ति कहां से हुई है. 

जांच में पता चला है कि हैकिंग का मुख्य उद्देश्य पैसों की उगाही करना था.  बता दें कि जब 23 नवंबर को सर्वर अटैक हुआ था तो ये खबरें आई थी कि हैकर 200 करोड़ की फिरौती एम्स प्रशासन से मांग रहे हैं. 

डार्क वेब पर AIIMS डाटा को लेकर हलचल

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जांच में पता चला है कि डार्क वेब पर AIIMS से जुडे डाटा को लेकर जबरदस्त एक्टिविटी देखी जा रही है. इस डाटा को लेकर कई डील पर चर्चा हो रही है. डार्क वेब पर एम्स डाटा को लेकर 1600 व्यूज और सर्च हो चुके हैं. कई लोग कथित नेताओं और सेलिब्रिटीज के कथित लीक डेटा को खरीदना चाह रहे हैं. अगर ये डेटा सचमुच लीक हुआ है और ये डेटा एंटी नेशनल एलिमेंट के हाथों में चला जाता है तो इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं. 

बता दें कि एम्स पर हुआ ये सर्वर हमला इतना गंभीर है कि इसके लिए बुलाई गई मीटिंग में एम्स प्रशासन के अलावा, आईबी, एनआईसी, एनआईए, दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय के अधिकारी शामिल हुए थे. इसकी जांच में खुफिया एजेंसियां भी जुटी हैं. 

ये छोटी घटना नहीं, हो सकती है साजिश 

केंद्रीय सूचना तकनीकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इस घटना पर कहा है कि ये कोई छोटी घटना नहीं है इसके पीछे बड़ी साजिश हो सकती है. मंत्री ने कहा कि CERT (कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम), एनआईए और पुलिस एम्स सर्वर हैक मामले की जांच कर रहे हैं.  

साइबर वार चीन का पुराना गेम

AIIMS साइबर अटैक में चीनी हैकरों के शामिल होने के बात अभी प्रारंभिक रिपोर्ट है. लेकिन ऐसा करना चीन की पुरानी आदत रही है. भारत भी चीन की इस हरकत का शिकार हो चुका है. अक्टूबर 2020 में मुंबई में बड़े पैमाने पर ब्लैकआउट हुआ था. मुंबई के कई हिस्से अंधेरे में डूब गए थे. मुंबई में 10 से 12 घंटे तक बिजली कटी रही. इस मामले में एक अमेरिकी एजेंसी की जांच में पता चला कि इस ब्लैकआउट में चीन के RedEcho नाम के हैकरों का हाथ था. 

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इस लिहाज से अगर एम्स सर्वर अटैक में अगर चीनी कनेक्शन सामने आया है तो ये भारत के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौती है. 

ताइवान और ब्रिटेन भी चीनी हैकरों का बने हैं शिकार 

वहीं अगस्त 2022 में जब ताइवान और चीन के बीच तनाव बढ़ा तो ताइवान की सरकारी वेबसाइटों पर चीनी हैकरों का हमला बढ़ गया. ये वो मौका था जब अमेरिकी राजनयिक नैंनी पेलोसी ताइवान यात्रा पर थीं. इस दौरान ताइवान के सरकारी वेबसाइट पर हैकरों के हमले बढ़ गये थे. 

चीनी हैकरों के खिलाफ ये शिकायत ब्रिटेन भी कर चुका है. सितंबर 2020 में चीन के विदेश मंत्री डोमिनिक रॉब ने चीनी हैकरों पर आरोप लगाते हुए कहा था कि हमारे पास आपराधिक उद्देश्यों के लिए दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधि का उपयोग करने वाले चीनियों का एक और उदाहरण है. हम सरकारों और व्यवसायों के खिलाफ हमलों के प्रयास की निंदा करते हैं. साइबर स्पेस में इस तरह का रवैया पूरी तरह से अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि यूके इस तरह के साइबर हमले करने वालों का मुकाबला करना जारी रखेगा, और अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए काम करेगा. अक्टूबर 2020 में चीनी हैकरों ने ब्रिटेन के नेशनल टेलिकॉम नेटवर्क को निशाना बनाया था. 

बता दें कि 23 नवंबर सुबह 7 बजे से एम्स का सर्वर काम नहीं कर रहा था. शुरुआती कुछ घंटों तक एम्स प्रशासन ने इसे मामूली समस्या मानी, लेकिन कई घंटों तक जब दिक्कत कायम रही तो एम्स प्रशासन ने दिल्ली पुलिस से संपर्क किया. एम्स में सर्वर हैकिंग को ठीक करने में एजेसियों को 6 से 7 दिन लग गए. इस बीच जांच एजेंसियों की सिफारिश के बाद AIIMS में अभी इंटरनेट सेवाएं बंद हैं. ओपीडी, लैब्रोटरी, इमरजेंसी जैसे विभाग मैनुअल मोड पर काम कर रहे हैं.  

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