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खुलासा: AIIMS में लापरवाही की हद, इस्‍तेमाल हो रहे एक्‍सपायर्ड औजार

अगर आप भी इलाज के लिए एम्स अस्पताल को सबसे ज्यादा भरोसेमंद मानते हैं. तो सावधान हो जाइए. दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में इंजेक्शन, ब्लड ट्यूब और इन्फ्यूसन सेट्स को मियाद खत्म होने के बाद भी उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

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अगर आप भी इलाज के लिए एम्स अस्पताल को सबसे ज्यादा भरोसेमंद मानते हैं. तो सावधान हो जाइए. दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में इंजेक्शन, ब्लड ट्यूब और इन्फ्यूसन सेट्स को मियाद खत्म होने के बाद भी उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

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'मेल टुडे' की खबर के मुताबिक, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में जरूरी मेडिकल सामान का मियाद खत्म होने के बाद इस्तेमाल किया जाता है. अखबार ने अपनी छानबीन में पाया कि देश के भरोसेमंद अस्पताल में मरीजों के उपचार में लापरवाही बरती जा रही है.

एम्स के राजेन्द्र प्रसाद सेंटर अॉफ ओपथैलमिक साइंस में नेत्र संबंधित बीमारी के मरीजों को भी इलाज के लिए बेवकूफ बनाया जा रहा है. ये विभाग में आनेवाले ज्यादातर मरीजों को देखने में दिक्कत होती है. ऐसे मरीजों का मियाद खत्म हो चुकी दवाईयों, इंजेक्शन से उपचार कर उन्हें बेवकूफ बनाया जाता है.

बिहार से एम्स में आंखों का इलाज कराने आए ओमप्रकाश पांडे के इलाज में भी लापरवाही बरती गई. पांडे की आखों में पट्टी बंधी होती थी पर जब वो नर्स या वॉर्ड ब्वॉय खुद को दी गई दवाईयों के बारे में पूछते तो उन्हें चिंता न करने के लिए कहा जाता. पांडे के पूरे उपचार के दौरान उनकी आंखों पर पट्टी बंधी रही और मियाद खत्म हो चुके मेडिकल सामान के साथ उनका उपचार किया गया.

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एम्स के ओपथैलमिक साइंस के प्रमुख डॉ शक्ति गुप्ता ने बताया कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. मैं स्टोर्स को प्रत्यक्ष रूप से नहीं संभालता हूं. एम्स की ओर से इस खबर के बचाव में कहा कि एम्स मियाद खत्म हो चुके मेडिकल उत्पादों के इस्तेमाल की संभावनाओं को स्वीकार करता है.एम्स के प्रवक्ता डॉ अमित गुप्ता ने कहा,' अगर एम्स में ये हो रहा है तो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. इस बारे में जल्द ही जांचकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

एक्सपायर इंजेक्शन, ब्लड ट्यूब का औपथेलेमोलॉजी, हेमाटॉलॉजी विभाग और नए प्राइवेट वार्ड में इस्तेमाल किया जाता है. एम्स सूत्रों के मुताबिक, पुराने स्टॉक के इंजेक्शन, ब्लड ट्यूब और इन्फयूशन सेट को बाकी कई विभागों में भी वितरित किया गया है. एम्स स्टॉफ के लोग दिन में काफी बार इनका इस्तेमाल करते हैं. खून की जांच से लेकर खून एकत्र करने तक में ऐसे एक्सपाइरी इंजेक्शन, ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है.

एम्स सूत्र ने बताया कि इस तरह की लापरवाही से मरीजों की जान को भी खतरा रहता है. कागजों में एम्स प्रशासन की ओर से यही दिखाया जाता है कि नए मेडिकल उत्पादों का इस्तेमाल किया जा रहा है. लेकिन वास्तिवकता इससे काफी अलग होती है. जानकारों का कहना है कि किसी भी टेस्ट या इलाज से पहले इंजेक्शन,ट्यूब की जांच कर लेनी चाहिए. एक्सपाइरी तारीख खत्म हो जाने के बाद इनका प्रयोग करना खतरनाक हो सकता है.

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गौरतलब है कि देश में इलाज के लिए एम्स अस्पताल को सबसे भरोसेमंद माना जाता है. आम बजट में भी देश  में 4 नए एम्स अस्पताल बनाने का ऐलान किया गया है.

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