दिल्ली की जहरीली हवा में बेशक भारतीय कप्तान विराट कोहली ने दोहरा शतक जड़ कर फैन्स को ख़ुश कर दिया हो, लेकिन राजधानी की प्रदूषित हवा में लिया गया एक-एक रन कोहली और दूसरे खिलाड़ियों की मुश्किलें बढ़ा सकता है.
डॉक्टरों का मानना है कि दिल्ली की हवा किसी भी तरह की आउटडोर एक्टिविटी के लिए ठीक नहीं है. दिल्ली की हवा की गुणवत्ता रविवार को बेहद खराब हो गई. सोमवार को भी दिल्ली के एयर क्वालिटी इंडेक्स में सुधार नहीं हुआ लेकिन इसके बावजूद फिरोजशाह कोटला मैदान में भारत-श्रीलंका टेस्ट सीरीज का खेल जारी है. सर गंगाराम अस्पताल के चेस्ट सर्जन डॉ अरविंद कुमार के मुताबिक दिल्ली की खराब एयर क्वालिटी में आउटडोर गेम्स का आयोजन बिल्कुल गलत है, क्योंकि इससे हम खिलाड़ियों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि किक्रेट का खेल ऐसा है, जिसमें हर एक खिलाड़ी चाहे वो बैट्समैन हो, बॉलर हो या फिल्डर सभी को पूरे वक्त एक्टिव रहना पड़ता है. रन बनाना हो या रन रोकना सभी के लिए खिलाड़ी भागते हैं. सामान्य तौर पर कोई व्यक्ति 12-16 बार प्रति मिनट सांस लेता है, लेकिन जब वही व्यक्ति दौड़ता है तो उसके सांस लेने की गति भी बढ़ जाती है.
मसलन भारतीय कप्तान विराट कोटली भारत-श्रीलंका टेस्ट मैच के दौरान विकटों के बीच रन चुराने की कोशिश में जब दौड़ रहे थे, उनकी सांस फूल रही थी और वो हांफ रहे थे. इसका मतलब ये है कि वो प्रति मिनट करीब 40-42 बार सांस ले रहे थे. यानी रविवार को जब दिल्ली की हवा में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर था, तो भारतीय कप्तान विराट कोहली अपनी सांसों के जरिए तीन गुना ज्यादा जहरीली हवा ले रहे थे.
डॉ अरविंद कुमार का दावा है कि दिल्ली की खराब हवा में आयोजित हो रहे इस टेस्ट मैच में खेलने वाले सभी खिलाड़ियों के फेफड़ों पर प्रदूषण के काले स्पॉट जरूर नजर आएंगे. बेशक इसके दुष्प्रभाव तुरंत नहीं दिखेंगे, लेकिन करीब 5 दिनों के इस टेस्ट मैच में लगातार खराब हवा के संपर्क में आने पर विराट कोहली समेत सभी खिलाड़ियों की सेहत पर दूरगामी प्रभाव जरूर पड़ेगा.
आउटडोर गेम्स को कहें ना
प्रदूषण से निपटने के लिए बनाई गए EPCA की एक्शन एडवायजरी में भी हवा की गुणवत्ता बेहद खराब होने पर किसी भी तरह के आउटडोर गेम्स के आयोजन में मनाही है. लेकिन जिस वक्त दिल्ली में भारत-श्रीलंका टेस्ट सीरीज के लिए तारीख निर्धारित किए गए, किसी को ये अंदाजा नहीं था कि प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ेगा. जब सीरीज की शुरुआत हुई तब भी मौसम और दिल्ली की आबो-हवा खेल के लिए अनुकुल थी, लेकिन राजधानी में हवा की गति का कम होना और प्रदूषण का बढ़ना इस ओर इशारा करता है कि गैस चैंबर में तब्दील हो चुकी दिल्ली में सर्दियों में आउटडोर गेम्स के आयोजन पर रोक लगाई जाए.