scorecardresearch
 

एयरलिफ्ट हो सकती है हनुमान की ये मूर्ति, ओबामा भी जानते हैं इसे!

हनुमान मूर्ति को हटाने की मुख्य वजह करोल बाग चौराहे पर अतिक्रमण और ट्रैफिक जाम की समस्या है. हालांकि पिछले 2 दशकों से हर मंगलवार को मंदिर दर्शन करने वालों का मानना है कि अतिक्रमण और ट्रैफिक की समस्या दिल्ली के कई इलाकों में है, ऐसे में सिर्फ हनुमान मूर्ति को हटाना सही नहीं है.

Advertisement
X
संकट मोचन हनुमान मूर्ति
संकट मोचन हनुमान मूर्ति

Advertisement

दिल्ली के संकट मोचन हनुमान मूर्ति को एयरलिफ्ट करने की बात सामने आते ही मंदिर के पुजारी और भक्तों ने इसका कड़ा विरोध किया है. सवाल यह है कि क्या 108 फीट ऊंची विशाल हनुमान मूर्ति को हवाई साधन से दूसरी जगह ले जाना संभव है? पूरे मामले में 'आजतक' की टीम ने मंदिर का जायजा लिया है और एक्सपर्ट से बातचीत कर जाना कि सैंकड़ों टन वजन वाली मूर्ति को एयरलिफ्ट करना कितना मुमकिन है.

ट्रैफिक जाम की वजह से हटाई जा रही मूर्ति

हनुमान मूर्ति को हटाने की मुख्य वजह करोल बाग चौराहे पर अतिक्रमण और ट्रैफिक जाम की समस्या है. हालांकि पिछले 2 दशकों से हर मंगलवार को मंदिर दर्शन करने वालों का मानना है कि अतिक्रमण और ट्रैफिक की समस्या दिल्ली के कई इलाकों में है, ऐसे में सिर्फ हनुमान मूर्ति को हटाना सही नहीं है.

Advertisement

ओबाम के प्रतिनिधि भी कर चुके हैं दर्शन

पिछले 15 साल से मंदिर में पुजारी गणेश दत्त पांडेय ने बताया- जितनी हनुमान मूर्ति की ऊंचाई है, उतनी ही जमीन के अंदर गहराई में मूर्ति का हिस्सा है. मूर्ति के नीचे कई गुफाएं भी हैं. जहां मां काली, मां वैष्णों देवी के साथ-साथ कई देवी-देवताओं की मूर्तियां मौजूद हैं. पुजारी का दावा है कि ओबामा के प्रतिनिधि उनके राष्ट्रपति बनने से पहले इस मंदिर में आशीर्वाद लेने आये थे, जिसके बाद वो राष्ट्रपति बने.

मूर्ति तैयार होने में लगे थे 13 साल

मंदिर के महंत कन्हैया ने बताया कि हनुमान मूर्ति को तैयार करने में 13 साल का वक़्त लगा. महंत के मुताबिक 1994 से 2007 के बीच जब मूर्ति को बनाया गया, तब आसपास जंगल था. उस वक्त सड़क बनाने का कोई प्रोजेक्ट नहीं था. महंत का कहना है कि कोर्ट और सरकार को अपने फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए. क्योंकि हनुमान की मूर्ति सिर्फ एक मंदिर नहीं बल्कि दिल्ली और देश की पहचान है.

फैसले से लोग भी नाखुश

करोल बाग में रहने वाली पल्लवी अक्सर मंदिर के बाहर सजी दुकानों से लॉकेट या धागे खरीदने आती हैं. पल्लवी ने बताया कि जब भी किसी टीवी सीरियल या फ़िल्म में दिल्ली का ज़िक्र होता है तो शुरुवात हनुमान मूर्ति से ही होती है. पल्लवी बताती हैं कि हनुमान मूर्ति उनके लिए बहुत गर्व की बात है. कॉलेज की पढ़ाई कर रही पल्लवी मानती हैं कि महज अतिक्रमण की वजह से मूर्ति हटाने का फैसला गलत है.

Advertisement

वायुसेना के एक्सपर्ट ने कहा- एयरलिफ्ट से पहले आंकलन जरूरी

108 फ़ीट ऊंची हनुमान मूर्ति को एयरलिफ्ट करना क्या मुमकिन है. इस पर 'आजतक' ने कैप्टन संदीप मेहता से बातचीत है. संदीप मेहता का कहना है कि एयर लिफ्ट के लिए वजन सबसे ज्यादा अहम है. क्योंकि मूर्ति का मामला है तो इसके अलग-अलग हिस्से करके नहीं ले जा सकते.

मूर्ति को एक साथ एयरलिफ्ट करना मुमकिन नहीं है. अगर दूरी ज्यादा नहीं है और वजन कम है तो कम ईंधन के साथ 20 से 25 टन को एयर लिफ्ट कर सकते हैं. भारतीय सेना में क्षमता है, लेकिन वजन और दूरी का आंकलन करना बेहद ज़रूरी होगा. यह इलाका बेहद भीड़भाड़ वाला है इसलिए इसका भी आंकलन जरूरी है.

Advertisement
Advertisement