बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए जहां रैलियों पर दांव लगाया है, वहीं यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लखनऊ से दिल्ली का फासला साइकिल से पाटने में जुटे हैं. अपनी 'साइकिल नीति' के तहत रविवार को अखिलेश ने दिल्ली के जंतर मंतर से 12 दिन की साइकिल यात्रा हरी झंडी दी. हालांकि आखिलेश्ा का यह कार्यक्रम भारी अव्यस्था का शिकार हुआ और इसे आनन-फानन में निपटाना पड़ा.
अपने पिता और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को केंद्र की सत्ता पर बिठाने का ख्वाब संजोए अखिलेश यादव आज दिल्ली में थे. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सपा की ओर से शुरू की जा रही इस साइकिल यात्रा को अहम माना जा रहा था. यही कारण है इसे ऐतिहासिक जंतर-मंतर से शुरू करने का निर्णय लिया गया, लेकिन शायद ही अखिलेश या पार्टी ने इसके आयोजन में खास दिलचस्पी ली.
खींचतान और धक्का-मुक्की
यूपी में विपक्ष द्वारा सपा कार्यकर्ताओं के रवैए और कुव्यवस्था के लिए निशाने पर रही सपा सरकार के लिए दिल्ली में माहौल भी यूपी जैसा ही रहा. यहां कार्यक्रम शुरू होते ही खींचतान और धक्का-मुक्की की नौबत आ गई. स्थिति की कल्पना इस बात से की जा सकती है कि यात्रा को हरी झंडी दिखाने आए आखिलेश पलक झपकते ही कार्यक्रम स्थल से निकल लिए. वह गाड़ी से आए और मिनटों में यात्रा को रवाना कर खुद भी चलते बने.
हालांकि सपा कार्यकर्ताओं ने अपने युवा नेता की पैरवी करते हुए कहा कि अखिलेश आगे अलग-अलग जगहों पर यात्रा के साथ दिखाई देंगे.
गौरतलब है कि सपा की यह 12 दिनों की यात्रा 23 फरवरी से 6 मार्च तक चलेगी. यह यात्रा नोएडा, टप्पल, वृंदावन, ईटावा, फिरोजाबाद, सिकंदराबाद होते हुए नवाबगंज से लखनऊ तक जाएगी. अखिलेश को उम्मीद है कि सपा की साइकिल पिछले विधानसभा चुनाव में मिली सफलता दोहरा पाएगी.