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दिल्ली के सातों सांसद बनेंगे बीजेपी के सारथी, बांटेंगे एमसीडी टिकट

दिल्ली में एमसीडी चुनाव को लेकर इस बार बीजेपी ने पूरी जिम्मेदारी सांसदों पर छोड़ने की रणनीति बनाई है. दिल्ली में सातों सांसद बीजेपी के हैं और एमसीडी चुनाव भी पार्टी संसदीय क्षेत्र के आधार पर ही लड़ रही है. यही वजह है कि पार्टी ने एमसीडी चुनाव से जुड़ी हर छोटी बड़ी गतिविधि में सांसदों का मौजूद होना जरूरी कर दिया है.

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दिल्ली बीजेपी
दिल्ली बीजेपी

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दिल्ली में एमसीडी चुनाव को लेकर इस बार बीजेपी ने पूरी जिम्मेदारी सांसदों पर छोड़ने की रणनीति बनाई है. दिल्ली में सातों सांसद बीजेपी के हैं और एमसीडी चुनाव भी पार्टी संसदीय क्षेत्र के आधार पर ही लड़ रही है. यही वजह है कि पार्टी ने एमसीडी चुनाव से जुड़ी हर छोटी बड़ी गतिविधि में सांसदों का मौजूद होना जरूरी कर दिया है. सांसदों की जानकारी के बगैर एमसीडी चुनाव से जुड़ा कोई भी काम पार्टी में नहीं हो रहा है. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी सात सांसदों में से एक हैं और वे कहते हैं कि सांसद अपने इलाके पर बड़ी पैनी नजर रखते हैं. ऐसे में उनकी भूमिका तो महत्वपूर्ण होनी ही चाहिए.

एमसीडी जीतने के लिए पार्टी ने लगाए सारे सांसद
यूपी और महाराष्ट्र के नगर निकाय चुनाव जीतने के बाद पार्टी ने दिल्ली में एमसीडी चुनाव जीतने की जिम्मेदारी सभी सांसदों को दी है. उन्हें ही विजयरथ को न रुकने देने के लिए सारथी बनाया है. गौरतलब है कि बीजेपी ने पूरी दिल्ली को तीन एमसीडी के बजाय सातों सांसदों के इलाकों के हिसाब से बांट दिया है. हर सांसद को अपने-अपने इलाके का इंचार्ज बनाया है और अब सारे कामकाज में सांसदों की राय जरूरी बना दी गई है. जैसे बूथ मैनेजमेंट से जुड़े कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी तय करने से लेकर टिकट के दावेदारों की छंटनी और यहां तक कि टिकट के लिए अपने-अपने इलाके के वार्डों के लिए उम्मीदवार तय करने की जिम्मेदारी भी सांसदों को ही सौंपी गई है. मतलब साफ है कि अपने संसदीय क्षेत्र में सांसदों के पसंद को ही तरजीह दी जाएगी.

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पार्टी सूत्रों के मुताबिक सांसदों को फ्री हैंड देने के लिए ही मौजूदा पार्षदों के टिकट काटे गए हैं, ताकि सांसदों को अपने-अपने इलाकों में उम्मीदवार चुनने की आजादी मिल सके. बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के मुताबिक इस बार पार्टी की रणनीति जीतने की है और इसी के आधार पर सारे फैसले किये जा रहे हैं.

रामलीला मैदान में शनिवार को होने वाले कार्यकर्ता सम्मेलन में पार्टी की इस रणनीति की छाप दिखने की संभावना है. कार्यकर्ताओं को इस बार जिलावार नहीं संसदीय क्षेत्र के आधार पर बैठाया जाएगा. इससे हर सांसदों के इलाके से पहुंचने वाले कार्यकर्ताओं का आंकड़ा भी सामने आ जाएगा. साथ ही कार्यकर्ताओं के बीच भी ऐसा संदेश जाएगा कि अब काम संसदीय क्षेत्र के आधार पर ही होगा. ऐसे में वे एमसीडी चुनाव से 2019 का लोकसभा चुनाव भी जीतने की रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं. मतलब साफ है कि भले ही तैयारी इस वक्त एमसीडी चुनावों की हो, लेकिन नज़र दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनावों के मिशन 2019 पर भी है.

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