प्रवर्तन निदेशालय ने 2 सितंबर को दिल्ली वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पीएमएलए के तहत गिरफ्तार कर लिया. उनपर आरोप है कि उन्होंने 2016 से 2021 के दौरान वक्फ बोर्ड में रहते हुए भ्रष्ट तरीकों से हासिल किए गए फंड्स को रियल एस्टेट निवेशों में डाइवर्ट किया था.
ईडी की जांच सीबीआई द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज की गई एफआईआर पर आधारित है. यह मामला खासतौर से ग्रुप सी और डी कर्मचारियों की अवैध नियुक्तियों पर केंद्रित है, जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ.
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साथ ही, दिल्ली भ्रष्टाचार निरोधी शाखा (एसीबी) द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में आप नेता अमानतुल्लाह खान पर प्रक्रियाओं का पालन किए बिना वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का आवंटन करने का आरोप लगाया गया है.
सहयोगियों के साथ किया था फंड को डाइवर्ट
जांच के तहत, ईडी ने अक्टूबर 2023 और जनवरी 2024 में कई छापेमारी की थी, जिनमें एजेंसी के मुताबिक कई सबूत जुटाए गए थे. जांचकर्ताओं ने पाया कि आप नेता ने सहयोगियों जीशान हैदर और दाऊद नासिर के साथ मिलकर भ्रष्ट तरीकों से हासिल किए गए धन को डाइवर्ट किया था.
एजेंसी ने पाया कि इस फंड्स से तिकोना पार्क और ओखला के इलाकों में संपत्तियों में निवेश किया गया था. इस लेनदेन में मध्यस्थ कौसर इमाम सिद्दिकी शामिल था. इनके अलावा, जावेद इमाम सिद्दिकी और उनकी पत्नी के खातों में बड़ी मात्रा में कैश जमा कराए गए थे, जो खान की अवैध गतिविधियों से जुड़े पाए गए.
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समन के बाद भी नहीं हो रहे थे पेश
गंभीर आरोपों के बावजूद आप नेता ईडी समन पर पेश नहीं हो रहे थे. उन्हें कुल 14 समन भेजे गए थे, लेकिन सिर्फ एक पर पेश हुए थे. वह अग्रिम जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे लेकिन अदालतों से उन्हें राहत नहीं मिली. बीते दिन लंबी पूछताछ के बाद एजेंसी ने आखिरकार उन्हें गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद उन्हें स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में पेश किया गया, जहां से वह चार दिनों की ईडी हिरासत में भेज दिए गए.