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23 दिन से धरने पर बैठी हैं दिल्ली की आंगनवाड़ी महिलाएं, जानिए क्या है इनकी मांग?

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मानदेय बढ़ाने को लेकर सरकार के सामने काफी समय से अपनी मांग रख रहे हैं. दिल्ली ही नहीं आस-पास के जिलों की भी आंगनवाड़ी महिलाएं भी अब अपनी मांगों को लेकर मुखर हो गई हैं. फिलहाल दिल्ली में 23 दिन से महिलाएं धरने पर बैठी हैं.

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23 दिन से धरने पर बैठी हैं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
23 दिन से धरने पर बैठी हैं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अनंगवाड़ी महिला को प्रतिदिन 320 रुपए और हेल्परों को 160 रुपए
  • आंगनवाड़ी कार्यकताओं को 25 हजार और हेल्पर्स को 20 हजार रुपये मासिक देने की मांग

23 दिन से दिल्ली की आंगनवाड़ी महिलाएं अपनी मांगों को लेकर, मुख्यमंत्री आवास पर धरने पर हैं. रोजाना दिल्ली के अलग-अलग गांव कस्बों से यह महिलाएं पैदल और बसों में सवार होकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर, हजारों की संख्या में प्रदर्शन में शामिल होती हैं. यह इस उम्मीद के साथ यहां आती हैं कि सरकार इनकी मांग सुन ले, लेकिन कई दिन होने को आए अभी तक कोई बातचीत नहीं हो पाई है. लिहाजा, इन महिलाओं का शक्ति प्रदर्शन और चेतावनी रैली जारी है. 

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ये हाल सिर्फ दिल्ली का नहीं है, बल्कि दिल्ली से सटे हरियाणा में भी आंगनवाड़ी महिलाएं पिछले 80 दिनों से अपनी सैलरी बढ़ाए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं. वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में जन आंगनबाड़ी महिलाएं भी प्रदर्शन करने की बात कर रही हैं.
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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कितने मानदेय मिलता है

वर्तमान में दिल्ली के आंगनवाड़ी केंद्रों में लगभग 22 हजार महिला कार्यकर्ता काम करती हैं. जिसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 9,678 रुपये महीना सैलरी मिलती है. साथ ही, हेल्परों को 4,839 रुपये महीना मिलता है. यानी प्रति दिन अनंगवाड़ी महिला 320 रुपए प्रतिदिन और हेल्परों को प्रतिदिन 160 रुपए मिलते है. 2017 के बाद से इन महिलाओं को ये सैलरी मिल रही है.

किस विभाग को कितना मेहनताना

कोरोना काल मे आंगनवाड़ी महिलाओं ने अपनी और अपने परिवार की जान जोखिम में डालकर, दवाइयां और राशन बांटा ताकि कोई भूखा ना सो सके. लेकिन आंगनवाड़ी महिलाओं को प्रतिदिन जो मेहनताना मिलता है, वह दिल्ली सरकार के दूसरे विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों से काफी कम है. दिल्ली सरकार, दिल्ली के सिविल डिफेंस वैक्सीनेशन ड्राइव में काम करने वाले कर्मचारी 786 रुपए प्रतिदिन देती है. वहीं प्रदूषण बढ़ने पर, दिल्ली के सिग्नल पर रेड लाइट ऑन इंजन ऑफ वाले मुहिम चलाने वाले वॉलिंटियर को 786 रुपए प्रतिदिन देती है, जो कि आंगनवाड़ी महिलाओं के सैलरी से दोगने से भी ज्यादा है.

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दिल्ली स्टेट आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन की अध्यक्ष शिवानी का कहना है कि, 'सवाल ये है कि जब ये महिलाएं, सिविल डिफेंस और होम गार्ड मार्शलों जितना काम करती हैं, तो सरकार सैलरी इतनी कम क्यों देती है?' 

आज से नहीं है ये मांग 

दिल्ली स्टेट आंगनवाड़ी महिला एवं वर्कर्स यूनियन की मेंबर वैशाली की मानें तो दिल्ली की आंगनवाड़ी महिलाओं की सैलरी बढ़ाए जाने की मांग साल 2017 से भी पहले की है. 2015 से लगातार आंगनवाड़ी महिलाएं दिल्ली सरकार से अपनी सैलरी बढ़ाने की मांग करती आई हैं, लेकिन साल 2017 में जब सरकार ने इनकी सैलरी नहीं बढ़ाई, तो इन आंगनवाड़ी महिलाओं ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर, 59 दिन का आंदोलन  किया था. उस दौरान इन आंगनवाड़ी महिलाओं की सैलरी को लगभग दोगुना कर दिया गया था, जिसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को जो 4500 रुपए मेहनताना मिलता था. उसे बढ़ाकर 9678 रुपये किया गया, वहीं हेल्पर को 2500 रुपए महीना जो सैलरी मिलती थी, उसे बढ़ाकर 4839 कर दिया गया. वहीं प्रदर्शनकारियों की मांग है कि, आंगनवाड़ी कार्यकताओं को 25 हजार रुपये और हेल्पर्स को 20 हजार रुपये मासिक मानदेय दिया जाए.

क्या कहना है दिल्ली सरकार का

सोमवार को आंगनबाड़ी महिलाओं का एक ग्रुप ने दिल्ली सरकार के महिला बाल विकास मंत्री राजेंद्र पाल गौतम से मुलाकात की. राजेन्द्र पाल गौतम ने कहा, 'उनकी तरफ से जो मांग रखी गई है, वह वास्तविक तौर पर काफी सही है. लेकिन अभी जो महिलाएं प्रदर्शन पर बैठी हैं उनके यूनियन के कई लोग अभी बातचीत करने के लिए नहीं पहुंचे हैं. साथ ही, दिल्ली के मुख्यमंत्री दिल्ली से बाहर हैं. जब वह आएंगे, तो सभी ग्रुपों के साथ बैठककर इस मुद्दे को हल किया जाएगा.' 

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