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दिल्ली सरकार पर LG का आरोप, कैबिनेट मीटिंग वाले दिन भेजते हैं प्रस्ताव, सीएम को भेजी गई चिट्ठी 

दिल्ली में एलजी और सरकार के बीच एक और विवाद शुरू हो गया है. एलजी सचिवालय की ओर से कहा गया है कि कैबिनेट मीटिंग से दो दिन पहले प्रस्ताव हमें नहीं मिलते, या तो एक दिन पहले या फिर उसी दिन हमारे पास प्रस्ताव आते हैं. इसको लेकर एलजी सचिवालय की ओर से मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया है. इसकी एक कॉपी सीएम के सचिव को भी भेजी गई है.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

दिल्ली के उपराज्यपाल और चुनी हुई AAP सरकार के बीच एक और विवाद सामने आया है. इस बार एलजी की ओर से आरोप लगाया गया है कि दिल्ली कैबिनेट समय से प्रस्ताव नहीं भेजती है. एलजी का कहना है कि सरकार नियमित रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार नियम, 1993 (ToBR)  बिजनेस रूल के लेनदेन का उल्लंघन कर रही है. 

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एलजी सचिवालय ने इस मामले को लेकर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है, जो इस मुद्दे को देखने के लिए कैबिनेट के सचिव भी हैं और दोनों में ToBR के वैधानिक प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करते हैं. इसकी एक कॉपी सीएम के सचिव को भी भेजी गई है. 

एलजी की ओर से बताया गया कि अप्रैल 2020 से 15 जुलाई 2022 तक कैबिनेट बैठक में विचार किए गए 234 प्रस्तावों में से, कैबिनेट बैठक से एक दिन पहले एलजी सचिवालय में 79 प्रस्ताव प्राप्त हुए. जबकि 63 प्रस्ताव बैठक के दिन ही प्राप्त हुए और 40 प्रस्ताव ऐसे थे, जो कैबिनेट बैठक के बाद मिले. यह स्पष्ट है कि इस मामले में ToBR का अनुपालन केवल 22% मामलों में हुआ, जबकि 78% मामलों में बिना किसी वजह से इसका उल्लंघन किया गया. 

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मीटिंग से 2 दिन पहले उपलब्ध कराई जाए फाइल 

इस पत्र में बताया गया है कि ToBR के नियम के तहत जो प्रावधान हैं, उसके मुताबिक, मंत्रिमंडल द्वारा विचार किए जाने वाले प्रस्तावों की एक प्रति उपराज्यपाल सचिवालय को निर्धारित कैबिनेट मीटिंग से कम से कम दो दिन पहले उपलब्ध कराई जानी चाहिए. लेकिन देखा गया है कि कैबिनेट की बैठक से एक दिन पहले या बैठक वाले दिन ही कॉपी उपलब्ध कराई जा रही हैं, ये ToBR के नियमों का उल्लंघन है. 

सीएम और एलजी की वर्चस्व की जंग! 

इससे पहले भी दिल्ली और एलजी वीके सक्सेना के बीच तनातनी के कई मामले सामने आ चुके हैं. इनमें सीएम अरविंद केजरीवाल को सिंगापुर दौरे की मंजूरी ना देना, फिर शराब नीति पर जांच बैठाना और टेक्निकल इंस्टीट्यूशन्स की फीस बढ़ाने वाले फैसले पर रोक लगा देने जैसे मामले शामिल हैं. 
 

 

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