अरविंद केजरीवाल की सरकार के निर्देश को मानते हुए दिल्ली एंटी करप्शन ब्यूरो ने कॉमनवेल्थ गेम्स के स्ट्रीट लाइट घोटाले में एफआईआर दर्ज कर लिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस एफआईआर में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का नाम नहीं है.
गौरतलब है कि गुरुवार को ही केजरीवाल सरकार ने कॉमनवेल्थ घोटाले में नई एफआईआर दर्ज किए जाने का आदेश दिया था. इसके बाद से अंदेशा जताया जा रहा था कि एफआईआर में तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित और उनके पीडब्ल्यूडी मंत्री का नाम शामिल हो सकता है.
आपको बता दें कि मामला लाइट खरीद से जुड़ा है जिसमें कॉन्ट्रेक्ट नियमों की अनदेखी हुई. इस वजह से सरकारी खजाने को 46 करोड़ रुपये के नुकसान की बात सामने आ रही है. बतौर सीएम शीला दीक्षित ने ही इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी थी.
कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान दिल्ली सरकार के पीडब्लूडी विभाग ने स्ट्रीट लाइट यानी सड़कों पर लगाने के लिए लाइटें खरीदी थीं. लेकिन रिपोर्ट का मानना है कि ये लाइटें बाजार से बहुत महंगे दामों पर खरीदी गईं थीं. साथ ही इनकी खरीद में करार की प्रक्रिया की अनदेखी भी की गई थी. इससे सरकार को करीब 31 करोड़ का और एमसीडी को करीब 15 करोड़ का नुकसान हुआ था.
शिकायत में सीधे शीला दीक्षित का नाम नहीं है लेकिन इस प्रोजेक्ट को शीला ने ही मंजूरी दी थी. इसलिए शीला दीक्षित का नाम एफआईआर में दर्ज हो सकता है . वैसे इससे पहले प्रधानमंत्री की बनाई शुंगलु कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में शीला दीक्षित और पूर्व उपराज्यपाल तेजिंदर खन्ना को दोषी माना था.
सीबीआई पहले ही जांच कर चुकी हैः राजकुमार चौहान
सरकार के इस आदेश पर दिल्ली के पूर्व PWD मंत्री राजकुमार चौहान ने कहा है, 'इसकी जांच पहले ही सीबीआई कर चुकी है. फिर भी सरकार यदि जांच के आदेश देती है तो उसका स्वागत है. जांच में भी सब सामने आ जाएगा.'
इसके अलावा केजरीवाल सरकार ने बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर शीला सरकार पर सरकारी पैसे से अपने विज्ञापन दिखाने के मामले पर भी जांच बैठा दी है. ऐसी हालत में बीजेपी को अपने हाथ से सारे मुद्दे छिनते दिख रहे हैं. बीजेपी का कहना है कि ये आदेश सिर्फ दिखावा है