तीन तलाक को लेकर देश में इस वक्त बहस छिड़ी है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और सरकार इसको लेकर आमने-सामने है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस पूरे मामले पर सरकार का पक्ष सामने रखते हुए एक ब्लॉग लिखा है. जेटली के मुताबिक, तीन तलाक और कॉमन सिविल कोड दोनों अलग मुद्दे हैं. कोई भी पर्सनल लॉ संविधान के मुताबिक ही होना चाहिए.
तीन तलाक की संवैधानिक वैधता अलग
जेटली ने कहा, 'तीन तलाक की संवैधानिक वैधता और समान आचार संहिता पूरी तरह अलग है. सरकार का नजरिया साफ है. पर्सनल लॉ संविधान के हिसाब से ही होना चाहिए. तीन तलाक को भी समानता के अधिकार और सम्मान के साथ जीने के पैमाने पर ही परखा जाना चाहिए. ये कहने की जरूरत नहीं कि दूसरे पर्सनल लॉ पर भी यही पैमाना लागू होता है.'
पीएम ने कहा- महिलाओं को मिले समान अधिकार
इससे पहले प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि सभी धर्मों की महिलाओं को समान अधिकार मिलना चाहिए. उसके बाद वेंकैया नायडू और दूसरे मंत्रियों ने भी तीन तलाक और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को लेकर अपनी स्थिति साफ की थी. अब जेटली भी इसी मुद्दे को साफ करने में लगे हैं कि तीन तलाक और मुस्लिम पर्सनल लॉ दोनों अलग होते हैं. जबकि, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस मुद्दे पर कह रहा है कि यह एक धार्मिक मसला है. इसमें सरकार को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.