आरुषि-हेमराज हत्याकांड के आज पांच साल पूरे हो गए हैं. 16 मई 2008 को यह दिल दहलाने वाली वारदात हुई थी. इतने लंबे समय से आरुषि को अब भी इंसाफ का इंतजार है. उधर, गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने आरुषि के माता-पिता और हत्याकांड के आरोपी राजेश और नूपुर तलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी अपील दायर करने के लिए 2 दिन की मुहलत दी है.
अगर इलाहाबाद हाईकोर्ट से उन्हें 2 दिन में राहत नही मिलती है, तो उन्हें गाजियाबाद कोर्ट में पेश होकर अपना बयान दर्ज कराना होगा.
कोर्ट ने तलवार दंपत्ति की खिंचाई करते हुए कहा था कि 6 मई से अब तक लगातार मामले की सुनवाई स्थगित होती रही है, जो ठीक नहीं है. अदालत ने यह भी कहा कि आरोपियों की सुविधा के हिसाब से मामले की सुनवाई नहीं चल सकती है. कोर्ट ने साफ कहा कि उन्हें 17 मई को धारा 313 के तहत अपना बयान दर्ज कराना होगा, नहीं तो उनकी जमानत रद्द की जा सकती है. सीबीआई ने तलवार दंपति पर हत्या का आरोप लगाया है. हालांकि तलवार दंपति लगातार खुद को निर्दोष साबित करने में लगे हैं, लेकिन पुलिस और सीबीआई के पास कुछ ऐसे पुख्ता सुबूत हैं, जो साफ-साफ तलवार दंपत्ति की तरफ इशारा कर रहे है.
आरुषि हत्याकांड अब तक
16 मई 2008 को आरुषि की हत्या के बाद उसके पिता राजेश तलवार 23 मई 2008 को गिरफ्तार कर लिया गया था. इस हाईप्रोफाइल केस ने पुलिस को छका कर रख दिया. पुलिस बार-बार बयान बदलती रही और केस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहा था, जिसके बाद 31 मई 2008 को केस सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया. जून में राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया गया. 10 दिन बाद तलवार के दोस्त के नौकर राजकुमार और विजय मंडल को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
सीबीआई जांच कर रही थी, लेकिन दिसबंर 2010 में आखिरकार सीबीआई थक गई और क्लोजर रिपोर्ट यह कहते हुए दाखिल की गई कि उसे राजेश तलवार पर ही शक है, लेकिन उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. उसके बाद तलवार दंपति इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ कोर्ट चले गए. कोर्ट ने भी रिपोर्ट को रिजेक्ट कर दिया और एक नाटकीय घटनाक्रम में तलवार दंपति को फिर से समन जारी कर दिया और सीबीआई को दोबारा मामला चलाने का आदेश दिया गया.
फरवरी 2011 में गाजियाबाद की स्पेशल कोर्ट ने राजेश तलवार और नुपुर तलवार पर ट्रायल शुरू करने के आदेश दिए सीबीआई कोर्ट ने अदालत में मौजूद ना रहने पर तलवार दंपति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया. अप्रैल 2011 में नुपुर तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया.
आखिरकार मई 2011 में कोर्ट ने राजेश तलवार और नपुर तलवार पर हत्याकांड को अंजाम देने और सबूत मिटाने का आरोप तय कर दिया. सितबंर 2011 में नुपुर तलवार को जमानत मिल गई. अप्रैल 2013 में सीबीआई के अधिकारी ने कोर्ट में कहा कि आरुषि और हेमराज की हत्या तलवार दंपति ने ही की है. सीबीआई ने कोर्ट को ये भी बताया कि आरुषि और हेमराज आपत्तिजनक अवस्था में मिले थे.
बचाव पक्ष के वकील ने 3 मई को स्पेशल कोर्ट के सामने अपील की कि वह 14 हवाहों को कोर्ट में बुलाए. सीबीआई ने इस अपील का विरोध किया. 6 मई 2013 को तलवार की इस अर्जी को ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया. साथ में राजेश और नूपुर के बयानों को रिकॉर्ड करने के भी आदेश दिए. 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने तलवार दंपत्ति को कड़ी फटकार लगाते हुए उनकी अर्जी को खारिज कर दिया. कुल मिलाकर तारीख बढ़ती गई, लेकिन अभी तक आरुषि को इंसाफ का इंतजार है.