आरुषि-हेमराज डबल मर्डर केस में गुरुवार को अंतिम जिरह शुरू होनी थी, लेकिन तलवार दंपत्ति की तरफ से एक नई अर्जी कोर्ट में डाली गई जिसकी वजह से अंतिम जिरह की जगह अर्जी पर ही सुनवाई हुई.
अर्जी में तलवार दंपत्ति की तरफ से मांग की गई कि जिस खुखरी की सीएफएसएल टीम डीएनए जांच की है उसको और उसके कवर को किसी विदेशी फॉरेंसिक लैब में जांच के लिये भेजा जाए. बचाव पक्ष ने अपनी इस मांग के पीछे ब्रिटेन से आये फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. आन्द्रे सेमिखोद्स्की के बयान को आधार बनाया जिसमें उन्होंने कहा था कि खुखरी और उसके कवर में बायोलॉजिकल मेटिरियल अब भी हो सकते हैं और अगर इसकी जांच करने का उन्हें मौका मिले तो शायद वो उन पर मौजूद डीएनए ट्रेस कर लें.
बचाव पक्ष ने ये भी कहा कि खुखरी के कवर की किसी भी भारतीय फॉरेंसिक लैब में जांच नहीं की गई इसलिये इसकी डीएनए जांच जरूर होनी चाहिए.
दूसरी तरफ सीबीआई ने बचाव पक्ष की अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि मामले को डिले करने के लिये अर्जी लगाई गई है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला शुक्रवार तक के लिये सुरक्षित रख लिया है.
तलवार दंपत्ति की तरफ से जिस खुखरी की जांच की मांग हो रही है वो कंपाउंडर कृष्णा की है जिसे सीबीआई की पहली टीम ने आरोपी बनाया था. बाद में सीबीआई की दूसरी जांच टीम ने तलवार दंपत्ति पर हत्या का शक जाहिर करते हुए सबूतों के अभाव में क्लोजर रिपोर्ट लगाई थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को चार्जशीट मानते हुए तलवार दंपत्ति को आरोपी बना दिया था.
16 मई 2008 को आरुषि का शव तलवार दंपत्ति के नोएडा के जलवायु विहार के घर में मिला था. शक घर के नौकर हेमराज पर गया, लेकिन अगले ही दिन यानी 17 मई 2008 को घर की छत से हेमराज का भी शव बरामद हुआ था.