अरविंद केजरीवाल के उदय ने भारतीय राजनीति के पुराने मठाधीशों को चुनौती दी है. कुछ लोग मानते हैं कि इसीलिए बड़ी ताकतें मिलकर केजरीवाल को परेशान करती हैं. पर दूसरे पक्ष की दलील है कि केजरीवाल की शख्सियत ही 'झगड़ालू' प्रवृत्ति की है और वह जान-बूझकर विवादों को हवा देते रहते हैं.
हर किसी से पंगा लेना सियासी नासमझी है या प्रशासनिक सुधार की संजीदा कोशिश?