दिल्ली में अगले महीने होने वाले निगम चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल ने पंजाब चुनावों से सबक लिया है. पंजाब जैसे बड़े राज्य में चुनाव लड़ने के अनुभव से पार्टी ने बहुत कुछ सीखा है. जिसे अब आप ना सिर्फ दिल्ली के निगम चुनावों में आजमाएगी बल्कि आने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी इस प्रयोग को दोहराएगी.
AAP ने पंजाब से क्या सीखा?
आम आदमी पार्टी के सूत्रों की मानें तो पंजाब से ये सबक लेकर ही दिल्ली के नगर निगम चुनावों में सिर्फ पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को ही टिकट दिया गया है. अब तक घोषित दावेदारों में लगभग सभी वो कार्यकर्ता हैं
जो अन्ना आंदोलन से या पार्टी बनने के समय से ही जुड़े हैं. बाहरी नेताओं से ज्यादा अरविंद केजरीवाल ने इस बार सिर्फ पार्टी के कार्यकर्ताओं पर भरोसा किया है. पंजाब में कई बाहरी नेताओं को टिकट देने का अनुभव
आम आदमी पार्टी के लिए अच्छा नहीं रहा. साथ ही पार्टी के बड़े नेता मानते हैं कि पुराने कार्यकर्ता को टिकट देने से वो चुनाव में अपना सब कुछ दांव पर लगा देता है और चुनाव में ज्यादा मेहनत करता है. इसी
अनुभव से सबक लेकर आम आदमी पार्टी ने इस बार दिल्ली के नगर निगम चुनावों में पार्टी के कार्यकर्ताओं को अहमियत दी है. सूत्रों की मानें तो बाहर से आने वाले उम्मीदवारों को जीतने की कसौटी पर मानने के बाद
ही आप टिकट देने पर विचार करेगी लेकिन उनकी संख्या ना के बराबर होगी.
पार्टी कार्यकर्ताओं को दिया टिकट
अब तक जारी लिस्ट में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में युथ विंग के नेता अंकुश नारंग को टिकट दिया. जो अन्ना आंदोलन से ही अरविंद केजरीवाल के साथ जुड़े रहे और आम आदमी पार्टी बनने के बाद नौकरी छोड़
पार्टी के साथ जुड़ गए. वहीं आप ने तिमारपुर से प्रमिला गुप्ता को टिकट दिया है, जो अरविंद केजरीवाल के साथ अन्ना आंदोलन से ही जुड़ी रहीं. इसी तरह आम आदमी पार्टी ने बदरपुर से आबिद और सीमापुरी से पेशे
से डॉक्टर विकास सिंह पर दांव खेला है. कुल मिलाकर पहली दो लिस्ट में पार्टी ने सिर्फ अपने पुराने कार्यकर्ताओं को ही निगम चुनावों में उतारा है. सूत्रों के मुताबिक यही फॉर्मूला वो बाकी के राज्यों में भी आजमा सकते
हैं.