दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को अडानी मुद्दे पर चर्चा के दौरान जमकर हंगामा हुआ. इस दौरान बीजेपी विधायकों ने 'पाकिस्तान मुर्दाबाद, हिंदुस्तान ज़िंदाबाद' के नारे लगाए, तो वहीं AAP के विधायकों ने भारत माता की जय के नारे लगाए. दरअसल, अडानी के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिल्ली विधानसभा सदन में आम आदमी पार्टी के विधायक मदनलाल ने प्रस्ताव रखा था. लेकिन जैसे ही सदन में चर्चा शुरू हुई, तो विधायक मदनलाल द्वारा प्रधानमंत्री मोदी का नाम लेने पर भाजपा सदस्यों ने आपत्ति जताई. जिसके बाद स्पीकर ने रूलिंग दी कि प्रधानमंत्री शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं, नाम नहीं लें. लेकिन हंगामा जारी रहा और इस बीच सदन 15 मिनट के लिए स्थगित हो गया.
AAP MLA मदनलाल ने दोबारा चर्चा शुरू करते हुए कहा कि 2002 में गुजरात में हिंसा हुई. लोगों को लगा कि यह हिंसा सत्ता प्रायोजित है. इस घटना को लेकर दुनियाभर में गुजरात की किरकिरी हुई. इसके बाद वाइब्रेंट गुजरात से उस मुद्दे को छुपाने की कोशिश हुई. 2014 में अडानी की सहायता से ही केंद्र में उनकी सरकार बनी. यह स्पष्ट था कि परोक्ष रूप से शासन अडानी का ही होगा.
सदन में मदनलाल के इस बयान के बाद बीजेपी के विधायकों ने विरोध शुरू कर दिया. इसके बाद AAP MLA मदनलाल ने अल-जजीरा की रिपोर्ट का हवाला दिया, इस पर भाजपा विधायकों ने आपत्ति की और कहा कि ये पाकिस्तान का सहारा ले रहे हैं. इसी दौरान सदन में नारेबाजी शुरू हो गई. आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने जमकर नारेबाजी की.
बीजेपी विधायकों ने जहां 'पाकिस्तान मुर्दाबाद, हिंदुस्तान ज़िंदाबाद' के नारे लगाए, तो वहीं AAP के विधायकों ने भारत माता की जय के नारे लगाए. नारेबाजी के बीच विधानसभा सदन में स्पीकर ने कहा कि 'अल-जजीरा अख़बार पाकिस्तान का अख़बार नहीं है. सदन को गुमराह न करें.'
सदन में आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा ने अडानी के खिलाफ जांच ना करने का मामला उठाया. संजीव झा ने सदन में अडानी मामले में ED और CBI जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि देश को लूटा जा रहा है और विरोध करने पर अडानी के साथ खड़े रहने वाले बीजेपी का क्या रिश्ता है?
भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के हंगामे के बीच, AAP विधायक संजीव झा ने सदन में संकल्प रखा कि 'केंद्र सरकार द्वारा संस्थानों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. देश में 1970 के जैसे हालात हैं. केंद्र सरकार लोकतंत्र के मंदिर को कमजोर कर रही है. प्रधानमंत्री ने अपने करीबी दोस्त को लाभ पहुंचाने के लिए चुना है, इससे देश की प्रगति को नुकसान हुआ. प्रधानमंत्री गंभीर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? ईमानदार लोगों को सताया जा रहा है. लोकसभा और राज्यसभा को संदेश भेजा जाए कि विपक्ष को सेंसर किए बिना अपनी आवाज रखने का मौका दिया जाए.
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