दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अनधिकृत कॉलोनियों पर बोलते हुए कहा कि दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार से जवाब मिल गया है. केजरीवाल ने दावा किया कि केंद्र और दिल्ली सरकार इस मुद्दे पर एक साथ काम करेंगे और इन कॉलिनियों के निवासियों को उनका हक मिलेगा.
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इन कॉलोनियों को नियमित करने के लिए दिल्ली सरकार ने ब्लू प्रिंट भी तैयार कर लिया है. 1797 कॉलोनियों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है, ये कॉलोनियां सरकारी जमीन पर बनी हैं.
हाल ही में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के करीब 1797 अनधिकृत कॉलोनियों को वैध करने का फैसला किया था. इन कॉलोनियों में करीब 40 लाख लोग रहते हैं.
11 अक्टूबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया था कि जीपीए और एग्रीमेंट टू सेल मान्य नही होंगे. अगर इस ऑर्डर को लागू किया जाए तो 2011 के बाद जिन लोगों ने जीपीए के जरिए जमीन खरीदी होगी तो ये अनधिकृत होगी. इस पर केजरीवाल ने कहा कि इसको खत्म करते हुए सरकार एक डेट तय करेगी.
दिल्ली में 2 फेज में कॉलोनियों को नियमित करने का कार्य किया जा रहा है. पहले फेज में 1797 कॉलोनियां हैं. इसके बाद भी अगर कॉलोनिया बच गई हैं तो केंद्र ने लिखा है कि 1 जनवरी 2015 तक अगर 1797 के अलावा कोई कॉलोनी बच गई है तो उसकी भी लिस्ट बना लें. दिल्ली सरकार का कहना है कि 1 जनवरी 2015 के बजाए आज तक की डेट का हो जाए जिससे की बैकलॉग दूर हो सके. सभी ग्रामीण गांव की कच्ची कॉलोनी को दिल्ली सरकार नियमित करके शहरी गांव कर देगी.
दिल्ली में अवैध कॉलोनियां का मुद्दा पहले भी उठता रहा है. चुनाव के दौरान इन कॉलोनियों के मुद्दे खूब उठते रहे हैं. दिल्ली सरकार ने 2 नवंबर, 2015 को अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा था.
हालांकि 1994 से 2014 के बीच सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट ने इन कॉलोनियों से संबंधित कई मामलों में स्पष्ट फैसले दिए कि इन्हें तब तक नियमित नहीं किया जा सकता, जब तक इनमें मूलभूत सुविधाएं प्रदान न कर दी जाएं.
दिल्ली सरकार ने हाल ही में निर्णय लिया था कि कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. मूलभूत सुविधाओं में सीवर, पीने के पानी की पाइप लाइनें, सड़कें, नालियों और गलियों का निर्माण चल रहा है. केजरीवाल सरकार ने दावा किया था कि 5 महीनों में इन कॉलोनियों के विकास का कार्य पूरे कर लिए जाएंगे.