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क्या केजरीवाल के एजुकेशन मॉडल पर भारी पड़ रहे दिल्ली की सड़कों के गड्ढे और जलभराव? AAP के सामने नई चुनौती

साल 2020 का जब विधानसभा चुनाव हुआ तो आम आदमी पार्टी एमसीडी की सत्ता में नहीं थी. लेकिन अब होने वाले विधानसभा चुनाव जब होंगे तब बड़ा अंतर ये होगा कि आम आदमी पार्टी दिल्ली नगर निगम की सत्ता में होगी. साल 2022 में एमसीडी का चुनाव जीत जाने के बाद अब आम आदमी पार्टी यह नहीं कह पाएगी कि दिल्ली के सिविक मुद्दों पर उसका कंट्रोल नहीं है.

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सिविक मुद्दों पर AAP को घेर रही बीजेपी
सिविक मुद्दों पर AAP को घेर रही बीजेपी

चुनाव में जब सिर्फ 5 महीने ही बचे हों उससे पहले इस्तीफे का ऐलान न केवल 10 साल की केजरीवाल सरकार की एंटी-इनकम्बेंसी से निपटने के लिए बड़ा कदम है बल्कि दो साल से एमसीडी की सत्ता पर काबिज AAP सिविक मुद्दों पर भी घिरी हुई है. सिर्फ बीजेपी ही नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव गठबंधन में रही कांग्रेस ने भी करंट लगने से मौत, जलभराव, मॉनसून सीजन में सिविक लापरवाही से 30 से अधिक मौतों की शिकायत एलजी से कर दी थी. ऐसे में केजरीवाल के इस्तीफे ने इन सिविक मुद्दों को भी सियासी तरीके से पार लगा दिया है.

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AAP नेताओं के जेल जाने से बदला राजनीतिक माहौल

दिल्ली विधानसभा में 2015 में आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की थी और साल 2020 में 62 सीटें जीतकर पूरी दिल्ली में छा गए थे. लेकिन साल 2024 में राजनीतिक माहौल तब बदल गया जब खुद मुख्यमंत्री समेत टॉप लीडर्स को जेल जाना पड़ा. पॉलिसी पैरालिसिस का दावा करके बीजेपी ने राष्ट्रपति शासन की गुहार लगा दी.

साल 2022 में दिल्ली नगर निगम के 250 वार्ड में 134 वार्ड जीतकर आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की और बीजेपी के 15 साल के एमसीडी शासन को उखाड़ फेंका और बीजेपी को इस चुनाव में 104 सीटें ही मिल पाईं.

अब AAP के पास है दिल्ली नगर निगम की सत्ता

साल 2020 का जब विधानसभा चुनाव हुआ तो आम आदमी पार्टी एमसीडी की सत्ता में नहीं थी. लेकिन अब होने वाले विधानसभा चुनाव जब होंगे तब बड़ा अंतर ये होगा कि आम आदमी पार्टी दिल्ली नगर निगम की सत्ता में होगी. साल 2022 में एमसीडी का चुनाव जीत जाने के बाद अब आम आदमी पार्टी यह नहीं कह पाएगी कि दिल्ली के सिविक मुद्दों पर उसका कंट्रोल नहीं है. साफ सफाई, कूड़े के तीनों पहाड़ों को हटाना, प्रदूषण, बढ़ता डेंगू, चिकनगुनिया, जलभराव के मुद्दे पर बीजेपी AAP को घेरकर सियासी दबाव बना रही है.

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एजुकेशन मॉडल पर भारी पड़ रहे सिविक मुद्दे

सिविक मुद्दों पर एमसीडी कोई प्रभाव छोड़ने वाला काम नहीं कर पाई है. एमसीडी से जुड़े एडमिनिस्ट्रेटिव मुद्दों पर AAP की असफलता, जल भराव, डेंगू, प्रदूषण जैसे मुद्दे आम आदमी पार्टी के एजुकेशन और हेल्थ मॉडल पर भारी पड़ने लगे हैं. वहीं बीजेपी न सिर्फ एमसीडी में सबसे पावरफुल स्टैंडिंग कमेटी की सीधी लड़ाई में आ गई है बल्कि एल्डरमैन के मुद्दे पर उसे सुप्रीम कोर्ट से जीत हासिल हुई है. स्थायी समिति न बन पाने की वजह से 250 प्रोजेक्ट और परियोजनाओं पर दिल्ली नगर निगम आगे नहीं बढ़ पा रहा है.

सरकार विरोधी लहर से निपटने के लिए दिया इस्तीफा?
 
वैसे तो आम चुनाव और दिल्ली विधानसभा चुनाव हर बार अलग-अलग मुद्दों पर लड़े जाते हैं लेकिन बीजेपी की ओर से भ्रष्टाचार को हथियार बनाकर लगातार हमले करते रहना आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है. ऐसे में सवाल है कि क्या इन सभी फैक्टर्स के जवाब में ही केजरीवाल ने इस्तीफा दिया है ताकि सरकार विरोधी लहर से निपटा जा सके?

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