दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नौकरशाही पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होना चाहिए, लेकिन फैसले के एक हफ्ते के भीतर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया. इतना ही नहीं, केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार करने के लिए अध्यादेश लाया गया था.
केजरीवाल ने कहा कि केंद्र के दिल्ली सेवा बिल को हराना 2024 के सेमीफाइनल जैसा होगा. अगर यह बिल राज्यसभा में पास नहीं होता है तो बहुत कड़ा संदेश जाएगा कि पूरा विपक्ष एक साथ आ गया है और शायद मोदी सरकार 2024 में वापस नहीं आएगी.
केजरीवाल ने इस दौरान कांग्रेस को लेकर कहा कि दिल्ली सेवा अध्यादेश पर कांग्रेस को आम आदमी पार्टी का समर्थन करना चाहिए. मैंने राहुल जी और खड़गे जी से मिलने का समय मांगा है. मुझे पूरा विश्वास है कि कांग्रेस इसका समर्थन करेगी, उनके पास इसका समर्थन न करने का कोई कारण नहीं है. यह विधेयक लोकतांत्रिक और संघवाद के खिलाफ है.
केजरीवाल से मुलाकात के बाद क्या बोले स्टालिन?
केजरीवाल से मुलाकात के दौरान स्टालिन ने कहा कि बीजेपी सरकार दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के रास्ते में कई रुकावटें पैदा करने की कोशिश कर रही है. LG कई बाधाएँ पैदा कर रहे हैं. अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली राज्य सरकार के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन बीजेपी ने इसे रोकने के लिए एक अध्यादेश पारित कर दिया. डीएमके इसका विरोध जरूर करेगी. स्टालिन ने कहा कि हमने इस बारे में भी चर्चा की है कि इसका विरोध कैसे किया जाए और अन्य मुख्यमंत्रियों का समर्थन कैसे लिया जाए?
पंजाब के सीएम भगवंत मान ने भी DMK के शीर्ष नेतृत्व से AAP का समर्थन करने और राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (NCCSA) को राज्यसभा में पास न होने देने की अपील की.
केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल मांग रहे समर्थन
स्टालिन से मुलाकात से पहले केजरीवाल ने कहा था कि केंद्र के असंवैधानिक-अलोकतांत्रिक 'दिल्ली विरोधी' अध्यादेश के खिलाफ डीएमके का समर्थन लेने के लिए (1 जून) चेन्नई में सीएम स्टालिन से मुलाकात करूंगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 2 जून को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से रांची में मुलाक़ात करूंगा. दिल्ली की जनता के ख़िलाफ़ मोदी सरकार द्वारा पारित अध्यादेश के ख़िलाफ़ उनका समर्थन मांगूंगा.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ‘प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण’ को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच चल रहे मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. कई साल से चले आ रहे इस मामले में आम आदमी पार्टी को बड़ी जीत मिली. मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट के पांच साल पुराने फैसले को पलटते हुए दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और उसे नौकरशाही पर नियंत्रण का हक दिया. लेकिन इस फैसले के कुछ दिन बाद ही केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के अधिकारों पर अध्यादेश जारी कर दिया. इस अध्यादेश ने दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार फिर से उपराज्यपाल को दे दिया है.