आम आदमी पार्टी के अंदर अपनी ताकत और राजनीतिक हैसियत को साबित करने के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल गुरुवार को बंगलुरु के लिए घर से रवाना हो गए हैं. वह अपनी खांसी और डायबिटीज का इलाज करवाने के लिए 10 दिनों तक बंगलुरु में रहेंगे. केजरीवाल की अनुपस्थिति में प्रदेश के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया उनका कामकाज देखेंगे. बताया जाता है कि इलाज के लिए केजरीवाल नेचुरोपैथी का सहारा लेंगे. केजरीवाल के माता-पिता भी साथ बंगलुरु जा रहे हैं.
केजरीवाल अब अपनी खांसी के स्थाई इलाज के लिए जा रहे हैं. 10 दिन के लिए बंगलुरु के नेचुरोपैथी इस्टीट्यूट में उनका इलाज होने वाला है. 45 साल के केजरीवाल को अस्थमा और ब्रोंकाइटिस है, जिसकी वजह से उन्हें पूरे समय खांसी रहती है. यह लाइलाज नहीं है, लेकिन परेशानी खड़ी होती है हाई ब्लड शूगर की वजह से. केजरीवाल दो साल पहले भी जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरोपैथी में इलाज करवा चुके हैं.
जानकारी के मुताबिक, पिछले दस दिनों से केजरीवाल का शुगर लेवल तीन सौ के आसपास बना हुआ है. इसे देखते हुए डॉक्टरों ने इनसुलिन और दवाओं की डोज बढ़ा दी है. बावजूद इसके उनकी खांसी और शुगर लेवल मुश्किलों का सबब बनी हुई है. केजरीवाल की सेहत की यही जटिलताएं जिंदल नेचुरोपैथी के विशेषज्ञों के लिए भी चुनौती बनी हुई है.
केजरीवाल खुद भी नेचुरोपैथी में यकीन रखते हैं. जिंदल सेंटर में उनका इलाज भी कारगर रहा है. इसके अलावा यहां का खर्च भी अंग्रेजी इलाज के मुकाबले काफी कम है. जिंदल नेचुरोपैथी सेंटर में सिर्फ रहने और इलाज के दौरान कुछ खास दावाओं के ही पैसे लगते हैं. खाने-पीने के साथ समान्य दवाइयां मुफ्त में दी जाती है. इस लिहाज से 10 दिन के इलाज पर 15 से बीस हजार रुपये का खर्च आएगा.