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केजरीवाल ने केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर को लिखी चिट्ठी, पराली के निपटारे के लिए IARI की तकनीक का जिक्र

वैज्ञानिकों के मुताबिक पराली जलाने से मिट्टी के पौषक तत्व भी जल जाते हैं और इसका असर फसल पर होता है. युद्धवीर सिंह ने कहा कि ये कैप्सूल भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के जरिए बनाया गया है.

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो- पीटीआई)
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • केजरीवाल ने जावड़ेकर को लिखी चिट्ठी
  • पराली के निपटारे के लिए तकनीक का जिक्र
  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की तकनीक

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को चिट्ठी लिखी है. केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में पराली के निपटारे के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की तकनीक का जिक्र किया है. सीएम ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने पराली का सस्ता और सरल समाधान निकाला है.

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मिलने का समय मांगा था. हालांकि सीएम केजरीवाल को मिलने का समय नहीं मिला, जिसके बाद सीएम केजरीवाल ने जावड़ेकर को चिट्ठी लिखी है. केजरीवाल पराली को खाद बनाने के लिए बनाए गए केमिकल को मान्यता दिलाने पर चर्चा के लिए समय मांगा था. वहीं अब केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में पराली के निपटारे के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की तकनीक का जिक्र किया है. केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली के आसपास के राज्यों को इस तकनीक के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जाए.

केजरीवाल ने कहा, 'भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने पराली का सस्ता और सरल समाधान निकाला है. उन्होंने एक ऐसा केमिकल बनाया है जिसका खेत में छिड़काव करने से पराली गल जाती है और खाद बन जाती है. किसानों को पराली को जलाना नहीं पड़ेगा. दिल्ली में हम इस पद्धति को इस साल से बड़े स्तर पर इस्तेमाल करने वाले हैं और हम सुनिश्चित करेंगे कि दिल्ली में पराली बिल्कुल न जलाई जाए.'

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केजरीवाल ने कहा, 'मैं समझता हूं कि इस वर्ष समय बहुत कम रह गया है लेकिन अभी भी हम सब मिलकर कोशिश करें तो कुछ पराली को तो जलने से रोक पाएंगे. अभी कम समय में भी जितना हो सके इसको आसपास के राज्यों में किसानों को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जाए.'

क्या है ये तकनीक?

पराली को खाद में बदलने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने 20 रुपये की कीमत वाली 4 कैप्सूल का एक पैकेट तैयार किया है. प्रधान वैज्ञानिक युद्धवीर सिंह ने कहा कि 4 कैप्सूल से छिड़काव के लिए 25 लीटर घोल बनाया जा सकता है और 1 हेक्टेयर में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. सबसे पहले 5 लीटर पानी मे 100 ग्राम गुड़ उबालना है और ठंडा होने के बाद घोल में 50 ग्राम बेसन मिलाकर कैप्सूल घोलना है.

उन्होंने बताया कि इसके बाद घोल को 10 दिन तक एक अंधेरे कमरे में रखना होगा, जिसके बाद पराली पर छिड़काव के लिए पदार्थ तैयार हो जाता है. इस घोल को जब पराली पर छिड़का जाता है तो 15 से 20 दिन के अंदर पराली गलना शुरू हो जाती है और किसान अगली फसल की बुवाई आसानी से कर सकता है. आगे चलकर यह पराली पूरी तरह गलकर खाद में बदल जाती है और खेती में फायदा देती है.

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अनुसंधान के वैज्ञानिकों के मुताबिक किसी भी कटाई के बाद ही छिड़काव किया जा सकता है. इस कैप्सूल से हर तरह की फसल की पराली खाद में बदल जाती है और अगली फसल में कोई दिक्कत भी नहीं आती है. कैप्सूल बनाने वाले वैज्ञानिकों ने पर्याप्त कैप्सूल के स्टॉक का दावा किया है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक पराली जलाने से मिट्टी के पौषक तत्व भी जल जाते हैं और इसका असर फसल पर होता है. युद्धवीर सिंह ने कहा कि ये कैप्सूल भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के जरिए बनाया गया है. ये कैप्सूल 5 जीवाणुओं से मिलाकर बनाया गया है जो खाद बनाने की रफ्तार को तेज करता है.

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