मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने के बाद उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति शासन लागू करने का फैसला किया. विधानसभा को निलंबित रखा गया है. केजरीवाल मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया था. उपराज्यपाल नजीब जंग ने इससे पहले विधानसभा को निलंबित रखते हुए राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी.
इससे पहले उपराज्यपाल नजीब जंग ने शुक्रवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दिल्ली के हालात की रिपोर्ट भेज दी थी. साथ ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा भी मुखर्जी को भेज दिया था. जैसे ही केजरीवाल ने अपना इस्तीफा उपराज्यपाल को सौंपा- पूरी दिल्ली की नजरें राजनिवास पर ही टिक गईं. हालांकि केजरीवाल ने दिल्ली में जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है.
दिल्ली में सिर्फ 49 दिनों पहले 28 दिसंबर को बनी आम आदमी पार्टी (आप) की अल्पमत सरकार के कार्यकाल का शुक्रवार को एक नाटकीय घटनाक्रम में समापन हो गया. दिल्ली विधानसभा में दिनभर चले हाईवोल्टेज ड्रामे और जनलोकपाल बिल पेश ना हो पाने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने शुक्रवार को पद से इस्तीफा दे दिया था.
शुक्रवार देर शाम उन्होंने अपना इस्तीफा उपराज्यपाल नजीब जंग को भेज दिया. एलजी को लिखे अपने पत्र में उन्होंने दिल्ली विधानसभा को भंग करने की सिफारिश की है. साथ ही उन्होंने मांग की है कि दिल्ली में जल्द से जल्द फिर से चुनाव कराए जाएं.
सरकार बनाने के लिए बीजेपी को बुलाएंगे एलजी
बताया जा रहा है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते उपराज्यपाल बीजेपी को सरकार बनाने के लिए बुलाएंगे. हालांकि केजरीवाल ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश की है लेकिन एलजी उसे मानने के लिए बाध्य नहीं हैं. एलजी बीजेपी से बात करने के बाद ही इस संबंध में कोई फैसला लेंगे.
उधर दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता डॉ. हर्षवर्धन ने भी ये साफ कर दिया है कि बीजेपी दिल्ली में सरकार नहीं बनाएगी. उन्होंने कहा कि मध्यावधि चुनावों के लिए तैयार रहें.
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70 सदस्यीय विधानसभा में 27 के मुकाबले 42 मतों से जन लोकपाल विधेयक पेश नहीं होने के कारण यह तय माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस्तीफा दे देंगे. केजरीवाल ने गुरुवार को ही कहा था कि यदि विधानसभा में विधेयक पारित नहीं हो पाया तो वे इस्तीफा दे देंगे.
शुक्रवार को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने हंगामे के बीच जन लोकपाल विधेयक पेश किया जिसके बाद सदन में शोर-शराबा बढ़ गया. विपक्ष के नेता हर्षवर्धन और समर्थन दे रही कांग्रेस के नेता अरविंदर सिंह लवली सहित कई विधायकों ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध किया और विधानसभा अध्यक्ष एम. एस. धीर पर दबाव बनाया.
विरोध कर रहे सदस्यों ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि उपराज्यपाल ने विधानसभा को भेजे गए पत्र में कहा है कि जन लोकपाल पर उनकी सहमति नहीं है इसलिए इसे सदन में पेश नहीं किया जाए. चूंकि यह विधेयक संविधान के विरुद्ध है इसलिए इसे पेश नहीं किया जा सकता.
विरोध में सदस्यों की संख्या अधिक देख विधानसभा अध्यक्ष ने व्यवस्था दी कि विधेयक पेश नहीं माना जाएगा. विधेयक के समर्थन में आप के 27 विधायकों के मुकाबले भाजपा व कांग्रेस के 42 विधायक विरोध में खड़े थे.
बाद में केजरीवाल ने अपने समर्थकों की भारी भीड़ के बीच इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि हमारे पास संख्या बल नहीं था इसलिए हम सरकार नहीं बनाना चाहते थे. कांग्रेस ने जबरन समर्थन दिया और हमने जनता से राय मांगी. जनता की राय के अनुसार हमने सरकार बनाई. भ्रष्टाचार के विरुद्ध हमारे कदम के विरोध में भाजपा और कांग्रेस दोनों एकजुट हो गई. हमारे मंत्रिमंडल ने फैसला लिया है कि हमारी सरकार इस्तीफा देगी.
दिल्ली विधानसभा में हंगामे का प्रसारण देखते ही आप के हजारों समर्थक पार्टी मुख्यालय सहित विभिन्न जगहों पर जमा हो गए.