अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफे के ऐलान के बाद पार्टी दफ्तर पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा, '8 दिसंबर को जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे, हम यहीं इकट्ठे हुए थे. तब मैंने यहीं से सबको संबोधन किया था. हमारी 28 सीटें आई थीं. कांग्रेस ने जबरदस्ती समर्थन दिया. हमने जनता से पूछा. जनता ने कहा कि जितने दिन समर्थन दे रहे हैं, ले लो और काम करके दिखाओ. फिर हमारी 28 दिसंबर को सरकार बनी.
दोस्तों हमारा सबसे बड़ा वादा था कि हम करप्शन दूर करेंगे. भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून पास करेंगे. कांग्रेस ने लिखकर दिया था कि जन लोकपाल बिल का समर्थन करेंगे. दोस्तों आज विधानसभा में जब बिल पेश करने की कोशिश की गई. तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों मिल गए. आज तक के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ. सबको ये तो पता है कि बीजेपी और कांग्रेस वाले खुलकर सामने आ गए हैं. और इन दोनों ने मिलकर आज दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल बिल प्रस्तुत ही नहीं होने दिया. इन्होंने जनलोकपाल बिल गिरा दिया.
दोस्तों ऐसा क्यों हुआ. क्योंकि अभी तीन दिन पहले हमने मुकेश अंबानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. ये वो शख्स है, जो इस देश की सरकार चलाता है. मुकेश अंबानी ने कहा है कि कांग्रेस मेरी दुकान है. मैं जब चाहूं कांग्रेस में जाकर जो मर्जी खरीद सकता हूं. और पिछले एक साल से मोदी जी के पास इतना पैसा कहां से आता है. मोदी जी हेलिकॉप्टर से घूमते हैं. उनकी महंगी रैलियों का पैसा कहां से आता है. लोग बताते हैं कि मुकेश अंबानी इसके पीछे है.
तो दोस्तों जैसे ही हमने मुकेश अंबानी पर हाथ रखा, ये बीजेपी और कांग्रेस दोनों इकट्ठे हो गए और दोनों ने मिलकर बिल पास नहीं होने दिया. इनको लगा कि ये केजरीवाल के पास अभी तो छोटी सी एंटी करप्शन ब्रांच है. उसी से इसने नाक में दम रखा है. अगर जनलोकपाल बिल आ गया, तो इनमें से आधे से ज्यादा जेल चले जाएंगे. इसीलिए दोनों पार्टियों ने मिलकर जनलोकपाल बिल गिरा दिया.
इनको डर था कि सरकार चलती रही तो अभी तो अंबानी और मोइली को पकड़ा है, थोड़े दिन में शरद पवार और कमलनाथ की बारी आ जाए. इसलिए कुछ भी हो जाए इस केजरीवाल को निकालो.
दोस्तों मैं छोटा आदमी हूं. मेरी कोई औकात नहीं. आपमें से एक हूं. यहां कुर्सी के लिए नहीं आया. आज अगर लोकपाल बिल गिरा है, तो आज हमारी सरकार इस्तीफा देती है.
देश के लिए अगर जान देनी पड़े तो अपने आपको सौभाग्यशाली समझूंगा. ये मेरा इस्तीफा है. हमारी कैबिनेट मीटिंग में ये तय हुआ. ये इस्तीफा लेकर मैं अभी एलजी के पास जा रहा हूं.
हमने 28 दिसंबर को सरकार बनाई थी और उसके बाद से हमारे सात के सात मंत्री आज तक ठीक से सोए नहीं हैं. रात दिन काम कर रहे हैं. हमने दिल्ली वालों के लिए काम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हमने बिजली और पानी के दाम कम किए. इन बिजली कंपनियों का ऑडिट कम करवाने के ऑर्डर किए. हमने पूरी साफ नीयत से काम करने की कोशिश की.
हो सकता है हमसे गलतियां हुई हों. हम भी इंसान हैं. लेकिन पूरी ईमानदारी से कोशिश करी. ये लोग कहते हैं कि हमको गर्वनेंस करनी नहीं आती. अरे पांच साल में बीजेपी और कांग्रेस वाले बिजली कंपनियों का ऑडिट नहीं करवा पाए, हमने पांच दिन में करवा दिया. 65 साल में बीजेपी और कांग्रेस वाले करप्शन दूर नहीं कर पाए. हमने इतने छोटे वक्त में ही कर दिखाया.
हमने अंबानी और शीला दीक्षित के खिलाफ कार्रवाई की, तो कहते हैं कि गर्वनेंस करो, ये मत करो. हम भी अगर करोड़ों रुपये खा लेते, थोड़े से बीजेपी और कांग्रेस वालों को फेंक देते, तो ये कहते बड़ा अच्छा काम चल रहा है. दोस्तों कल जो कुछ विधानसभा और संसद में हुआ, उससे मन बहुत खट्टा हो गया. हमारे एक मंत्री को चूड़ियां दीं. इसका क्या मतलब है, यही महिलाओं की इज्जत करते हैं बीजेपी वाले. कल इन्होंने स्पीकर का माइक तोड़ा, कागज फाड़ दिए. बड़ी बड़ी बात करते हैं, कहते हैं विधानसभा मंदिर होता है, मस्जिद होती है. क्या मंदिर में जाकर मूर्तियां तोड़ते हो क्या. मस्जिद में जाकर कुरान फाड़ते हो क्या. शर्म आती है मुझे.
इन्होंने बीजेपी और कांग्रेस ने सबको शर्मसार कर दिया. हम जो भी काम करते हैं, ये कहते हैं असंवैधानिक है. हमने अंबानी के खिलाफ एफआईआर की. तो मोइली बोले असंवैधानिक है. मैंने कहा, करप्शन के खिलाफ लोकपाल बिल लाओ, तो कहते हैं कि असंवैधानिक है. हमने कहा, विधानसभा में पेश करो. बोले केंद्र सरकार की अनुमति चाहिए.
दोस्तों मैंने संविधान पढ़ा है. इसमें कहीं नहीं लिखा कि हमें विधानसभा में बिल पेश करने के पहले केंद्र की अनुमति चाहिए. केंद्र कौन होती है. कोई अंग्रेज है क्या. ये अपने को अंग्रेज मानते हैं, जैसे लंदन की सरकार हो. दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर अपने को अंग्रेजों का वायसराय समझते हैं. दिल्ली की विधानसभा को कुछ समझते ही नहीं. सोचते हैं सारा काम हमसे पूछकर करेंगे. हम नहीं पूछेंगे तुमसे. हम नहीं मानेंगे केंद्र सरकार की बात. हम संविधान की बात मानेंगे. बाबा साहब अंबेडकर का बनाया संविधान, उसके लिए हम जान दे देंगे.
हम कहते हैं कि करप्शन दूर करो, तो कहते हैं असंवैधानिक है. तुम माइक तोड़ो, बिल फाड़ो, चोरी करो, सब कुकर्म तुम्हारे संवैधानिक हैं. हम लड़ रहे हैं, तो असंवैधानिक हैं. इस देश की जनता तुम्हें सबक सिखाएगी. जनता ने आजादी की खुशबू ले ली है. अब ये चुप नहीं बैठने वाली मैं यहां से सीधा लेफ्टिनेंट गवर्नर के यहां जा रहा हूं इस्तीफे के लिए.