मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज शालीमार बाग में 275 करोड़ रुपए की लागत से बनाए जा रहे 1430 बेड क्षमता वाले शालीमार बाग अस्पताल की नींव रखी और हवन कार्यक्रम में भी शामिल हुए. इस दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि यह पूरे विश्व में एक रिकॉर्ड होगा कि दिल्ली सरकार अगले छह महीने के अंदर 6800 बेड क्षमता वाले सात नए सरकारी हॉस्पिटल बनाकर तैयार कर लेगी.
दिल्ली में बनेंगे सात नए अस्पताल
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दिल्ली के अलग-अलग इलाके में इस तरह के सात नए अस्पताल बनाए जाने हैं. स्वास्थ्य विभाग अधिकारियों ने बताया कि किस फ्लोर पर मरीजों को क्या-क्या सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अधिकारियों से निर्मित किए जा रहे नए हॉस्पिटल के प्लान को विस्तार से समझा. इस दौरान हवन यज्ञ भी किया गया.
शालीमार बाग हॉस्पिटल के अनावरण पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भगवान हमारे सभी दिल्ली वासियों को कोरोना से बचा कर रखें. अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है, तो एक जिम्मेदार सरकार होने के नाते हम लोग सभी महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं. अभी अप्रैल के महीने में जब कोरोना की दूसरी लहरा आई थी, तो अस्पताल में सबसे ज्यादा कमी बेड, ऑक्सीजन और आईसीयू बेड की हुई थी.
इसी मद्देनजर दिल्ली सरकार ने एक बहुत बड़ा कदम उठाया है. दिल्ली सरकार दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में सात नए अस्पताल बनाने जा रही है, जो कुल 6800 बेड क्षमता के होंगे और यह सभी सात हॉस्पिटल छह महीने के अंदर बनकर तैयार हो जाएंगे. मैं समझता हूं कि संभवतः यह पूरे विश्व में एक रिकॉर्ड होगा कि छह महीने के अंदर 6800 बेड क्षमता के सात हॉस्पिटल बनकर तैयार हो जाएंगे.
अस्पताल में क्या खासियत?
शालीमार बाग अस्पताल भी छह महीने के अंदर बनकर तैयार हो जाएगा. इस अस्पताल का हर बेड आईसीयू बेड होगा. अस्पताल के सभी 1430 बेड पर आईसीयू की सुविधा होगी. हर बेड पर ऑक्सीजन होगी, हर बेड पर आईसीयू के लिए मॉनिटर होगा. अगर इसे समान्य बेड की तरह इस्तेमाल करना चाहें तो समान्य बेड की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं और अगर आईसीयू बेड की तरह इस्तेमाल करना चाहें, तो सभी 1430 बेड पर आईसीयू का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध होगा.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारी सरकार बनने से पहले, जब अस्पताल बना करते थे, तो उसमें समान्य बेड की लागत काफी ज्यादा होती थी. अगर 100 बेड का कोई सरकारी अस्पताल बनना है, तो 100 समान्य बेड की जो लागत आती थी, वह एक करोड़ रुपए प्रति बेड के हिसाब से आती थी. यह 2015 के पहले की बात है, जब हमारी सरकार नहीं बनी थी. वहीं, यह जो हॉस्पिटल बन रहा है, इसकी कुल लागत 275 करोड रुपए हैं, जिसमें 1438 बेड बनाए जा रहे हैं.
इस अस्पताल में 20 लाख रुपए प्रति बेड की लागत आ रही है और वह भी आईसीयू बेड के साथ आ रही है. हमारी सरकार से पहले एक करोड़ रुपए प्रति बेड लागत आती थी, वह भी समान्य बेड पर यह लागत आती थी, जबकि हम लोग 20 लाख रुपए प्रति आईसीयू बेड की लागत के ऊपर इसको पूरा करने जा रहे हैं.
केजरीवाल ने बताया आगे का रोडमैप
हेल्थ इंफार्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम (एचआईएमएस) के बारे में बताते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगले एक-डेढ़ साल के अंदर एक-एक दिल्ली के नागरिक के हाथ अपना हेल्थ कार्ड होगा. चाहे वह गरीब हो या अमीर हो, उसके हेल्थ का पूरा डेटा कंप्यूटर पर होगा. उसे कोई पर्ची वगैरह लेकर नहीं जाना पड़ेगा. वह किसी भी अस्पताल में जाएगा, उसकी बचपन से आजतक जितनी भी पुरानी एक्सरे रिपोर्ट हैं, वह सब डेटा कंप्यूटर पर होगा. लोगों की अस्पताल में लंबी-लंबी लाइनें लगनी बंद हो जाएंगी. आप कंप्यूटर या एप पर डॉक्टर से मिलने का समय लेंगे. डॉक्टर मिलने का समय देगा और उसके दिए समय पर आप अस्पताल पहुंच जाइए. आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं होगी, आप सीधे डॉक्टर के पास जाएंगे और डॉक्टर आपका इंतजार करता हुआ मिलेगा.