अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया है. पीटीआई के हवाले से खबर है कि उन्होंने विधानसभा से अपने पार्टी ऑफिस जाने के दौरान ही अपना इस्तीफा उप-राज्यपाल को भेज दिया. उन्होंने एलजी नजीब जंग को लिखे अपने पत्र में उनसे दिल्ली विधानसभा को भंग करने की सिफारिश भी की है.
इससे पहले उन्होंने विधानसभा में जनलोकपाल बिल नहीं पास होने पर दुख प्रकट किया और कहा कि संभवतः यह उनकी सरकार का आखिरी सत्र है
जनलोकपाल बिल पास ना होने के बाद दिल्ली विधानसभा में अरविंद केजरीवाल ने कहा - दो शब्द बोलना चाहता हूं. हो सकता है कुछ कड़वी बातें बोल दूं. किसी पार्टी या व्यक्ति विशेष से मेरा वो नहीं है. डिसरप्शन. हां सर. मुझे थोड़ा हाउस में भी बोल लेने दीजिए. सर अगर आप बोलने देंगे.
सर हम लोग हम पहली बार आए हैं. हमें एक्सपीरियंस नहीं है. जब हम आए थे, तो कई ऐसे सदस्य थे, जो 15 साल से हैं. हमने दिल से सीखा था, सबसे सीखेंगे. सीनियर से सीखेंगे. हम मानते हैं सर हमें रूल्स नहीं आते. हमने सोचा था सीनियर से सीख लेंगे रूल्स. दो दिन से विधानसभा में बैठकर सारी चीजें देख रहा हूं. हो सकता है गलत हूं, पर कुछ चीजें देखकर मन खट्टा हुआ. जिस तरह से माइक तोड़ दिए गए कल. कागज फाड़ दिए गए. ये ठीक नहीं है.
मैं देख रहा था कि वो शौकीन जो है, पहली बार चुनाव लड़कर आए हैं. कल बैठे हुए थे. एक माननीय सदस्य उन्हें लेकर आए और पकड़कर माइक खिंचवाया. लगा कि ट्रेनिंग दी जा रही है.डिसरप्शन. मैं सहमत हूं. मैं आ रहा हूं. मैं बात पूरी कर लूं.आ रहा हूं उसपे. सर मैं बोल लूं. उस पर भी आऊंगा. आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं.
हर्षवर्धन- मैं स्पीकर को स्मरण करा दूं कि अभी मेरा सेंस्योर मोशन बचा है. उस पर भी चर्चा करानी है आपको मुख्यमंत्री जी के बोलने के बाद.
केजरीवाल- सर सारे अपने कर्मों का फल भुगतते हैं. सर मैंने अभी सबकी बात सुनी. किसी को डिस्टर्ब नहीं किया. दो मिनट बोल लेने दो.
अकाली विधायक सिरसा की आवाज- आपका माइक टूटने से दिल टूटा है. मगर आपको संविधान टूटने पर लज्जा नहीं आई. (शेम शेम की आवाज) फिर भी आपका दिल नहीं टूटा. हमारा ही टूटा.
केजरीवाल- आप लोगों ने तय किया है कि बोलने नहीं देंगे. तो आपकी मर्जी है. सुनने की भी थोड़ी आदत डालनी चाहिए. सर मैं जब बोल रहा हूं, आप लिख लीजिए. मेरे बाद आप बोल लीजिएगा.
स्पीकर- मेरी अनुमति के बगैर जो बोल रहा है. वह कार्यवाही में नहीं आएगा
सदन में शोर शराबा
स्पीकर की आवाज- अब आप बैठ जाइए. शांति रखिए और सुनिए. अव्यवस्था कायम मत करिए. आपसे बार बार निवेदन कर रहा हूं. आपको समय दे दिया गया और आप बोल चुके हैं. आप उनको चर्चा का उत्तर देने दें.
केजरीवाल- अध्यक्ष महोदय पिछले कुछ दिनों में कहा गया कि सदन मंदिर होता है. और हमें मंदिर का अपमान नहीं करना चाहिए. हमें मंदिर का आदर करना चाहिए. लेकिन मैं ये जानना चाह रहा था. यहां बहुत माननीय सदस्य हैं. हम मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे में जाते हैं. तो मुझे नहीं लगता कि वहां हम इस तरह का हंगामा करते हैं. सदन के अंदर जो कागज होते हैं, वो कागज गीता और कुरान की तरह होते हैं. मुझे नहीं लगता कि हम मंदिर में जाकर गीता को फाड़ते हैं. मुझे नहीं लगता कि हम मस्जिद में जाकर कुरान को फाड़ते हैं.
मैंने कहा जी, आप ऐसी हरकत क्यों कर रहे हो. क्यों माइक तोड़ रहे हो. क्यों कागज फाड़ रहे हो. कहते हैं कि केजरीवाल जी, आप बहुत अच्छा काम कर रहे हो. लेकिन क्या करें कि पार्टी का आदेश है. मैं कहना चाहता हूं कि पार्टी के आदेश पर ऐसा मत करिए. पार्टी के लिए नहीं देश के लिए काम करिए.
कल दिल्ली की विधानसभा में क्या हुआ हमने देखा. बिल्कुल सर. कल रात को मैंने जाकर संविधान पढ़ा. मैंने सोचा कि हो सकता है कि संविधान में लिखा हो कि अगर किसी संसद की बात न मानी जाए तो उसे माइक तोड़ने का अधिकार है. मैंने पूरा संविधान पढ़ा. कहीं नहीं लिखा कि अगर किसी विधायक की बात न मानी जाए तो उसे माइक तोड़ने, कागज फाड़ने का अधिकार है.
मेरा इस सदन से विश्वास उठता जा रहा है. मुझे लगता है कि हमें थोड़ा अंदर झांक देखने की जरूरत है. अगर यही हाल रहा तो लोगों का व्यवस्था से पूरी तरह यकीन उठ जाएगा. हमें राजनीति को अंदर और बाहर दोनों से ठीक करने की जरूरत है.
इस सदन ने जनलोकपाल बिल को इंट्रोड्यूस नहीं होने दिया गया. हरा दिया गया. ये कहा जा रहा है कि हम लोगों ने असंवैधानिक काम किया.मैंने पूरा संविधान पढ़ा लवली जी. इसमें कहीं नहीं लिखा कि हमें बिल पेश करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेने की जरूरत है.
गृह मंत्रालय ने कहा है कि हमें केंद्र सरकार से अनुमति लेनी है. ये दिल्ली विधानसभा के अधिकारों के खिलाफ है. मैंने जब मुख्यमंत्री की शपथ ली थी, मैंने संविधान की शपथ ली थी, केंद्र सरकार के आदेशों की नहीं. इस संविधान के लिए मैं अपनी जान तक देने के लिए तैयार हूं. लेकिन केंद्र सरकार के गैर संवैधानिक आदेशों को मैं नहीं मानूंगा. बीजेपी और कांग्रेस, दोनों को पता है कि अगर हमने केंद्र में यह कानून भेज दिया तो वह कभी अप्रूवल नहीं होने देंगे. इसलिए दोनों इकट्ठे हो गए और बिल पेश नहीं होने दिया.
ये दोनों इकट्ठे नहीं होते अगर तीन दिन पहले दिल्ली सरकार मुकेश अंबानी के खिलाफ एफआईआर की है. वह इन दोनों पार्टियों को चंदा देते हैं. इसलिए ये इकट्ठे हो गए. अगर हम अंबानी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करते, तो ये दोनों इकट्ठे नहीं होते. हाउस के अंदर ये तमाशा नहीं होता.
हर्षवर्धन की आवाज- विषय पर बुलवाइए
केजरीवाल- इस सदन में बीस साल से कोई विपक्ष नहीं था. मैच फिक्सिंग थी. बीजेपी और कांग्रेस ने मिलकर जनता को लूटा. जब त्राहि त्राहि मच गई और आज उस जनता के लोग यहां आकर बैठे हैं. इन दोनों के सिंहासन डोलने लग गए
हर्षवर्धन की आवाज- अब जनता के सामने पोल खुल गई है.
केजरीवाल- ये दोनों पार्टियां अब तक पर्दे के पीछे होती थीं. अब इनका असली चेहरा सामने आ गया. ये कह रहे हैं कि हम लोग गैरसंवैधानिक हैं. हम कहते हैं हम करप्शन दूर करना चाहते हैं. ये कहते हैं नहीं नहीं ये गैरसंवैधानिक है. हम कहते हैं कि हम अंबानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करेंगे. आज मोइली साहब ने बोला कि ये सब करना गैरसंवैधानिक है.
जब आम आदमी पार्टी बनी थी, तो हमने कहा था कि ये आंदोलन सड़क से संसद तक जाएगा. हम हर जगह आंदोलन करेंगे. आज दिल्ली विधानसभा की दीवारें उस आंदोलन से गूंज रही हैं. आज यहां आजादी की नई लहर दौड़ आई है. इसे अब संसद के अंदर लेकर जाना है.
अध्यक्ष महोदय हमारी सरकार रहे न रहे. हम यहां सरकार नहीं देश बचाए आए हैं. करप्शन दूर करने आए हैं और इसके लिए सौ बार मुख्यमंत्री की कुर्सी को दांव पर लगाना पड़े तो हजार बार तैयार हैं. मुख्यमंत्री की कुर्सी तो क्या, जान देश के लिए देनी पड़े तो सौभाग्यशाली होंगे.
मुझे लगता है कि ये आखिरी सेशन है. आपका बहुत बहुत धन्यवाद