दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल करीब एक साल की खामोशी के बाद फिर अपने तेवर दिखाने लगे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को लेकर केजरीवाल ने फिर आक्रामक रुख दिखाना शुरू कर दिया है.
2017 में पंजाब और दिल्ली के नगर निगम चुनाव हारने के बाद आम आदमी पार्टी ने मंथन करके रणनीति को बदला था. अप्रैल 2017 से लेकर मई 2018 अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ सीधे तौर पर प्रहार करने से परहेज किया.
बीते एक हफ्ते से अरविंद केजरीवाल एक बार फिर अपने उसी चिरपरिचित अंदाज में लौटते दिखाई दे रहे हैं. केजरीवाल दिल्ली में अपनी सरकार को मोदी सरकार की ओर से परेशान करने और काम ना करने देने जैसे आरोप लगा रहे हैं. साथ ही वे केंद्र की आर्थिक नीतियों से देश की जनता को होने वाली दिक्कतों का भी जमकर हवाला दे रहे हैं.
क्या है केजरीवाल के पुराने तेवर में लौटने की वजह?
केजरीवाल के अचानक पुराने तेवर में लौटने की वजह क्या है? क्या देशभर में विपक्षी एकजुटता और महागठबंधन बनने की संभावाना ने केजरीवाल को ऐसा करने के लिए मजबूर किया है. बीजेपी के खिलाफ कई राज्यों में स्थानीय क्षत्रपों के हाथ मिलाने की कवायद शुरू हो गई है. हालांकि आम आदमी पार्टी ने ये साफ नहीं किया है कि वो महागठबंधन का हिस्सा होगी या नहीं. लेकिन ये तय है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी हों या आंध्र में चंद्रबाबू नायडू, वामपंथी नेता सीताराम येचुरी हों या तमिलनाडु में अभिनेता कमल हासन, इन दिनों केजरीवाल हर एक के साथ मंच साझा करते नजर आ रहे हैं.
2019 में महागठबंधन बनने की संभावना के जोर पकड़ने के साथ ही क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी, केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमलावर होना शुरू कर दिया है. इस काम में कभी बढ़ चढ़कर आगे रहने वाले केजरीवाल भी फिर कहां मौका चूकते. केजरीवाल ने ट्विटर पर लिखा, 'मेरे सूत्रों ने बताया है कि प्रधानमंत्री दिल्ली के उपराज्यपाल पर हर संभव दबाव बनाकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और बिजली के क्षेत्र में किए गए कामों को ठप करवाना चाहते हैं. हम ऐसा नहीं होने देंगे. अच्छा काम जारी रहेगा. भगवान हमारे साथ है और लोग हमारे साथ हैं.'
केजरीवाल ने यह भी लिखा कि, 'मुझे पता चला है कि प्रधानमंत्री मौजूदा दिल्ली के उपराज्यपाल से बेहद नाराज हैं. प्रधानमंत्री को लगता है कि उपराज्यपाल अनिल बैजल दिल्ली सरकार के कामकाज में अड़ंगा नहीं लगा पा रहे हैं. उपराज्यपाल की तमाम कोशिशों के बावजूद दिल्ली सरकार लोगों के लिए बेहतरीन काम कर रही है और इसी वजह से पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग को हटाया गया था.'
I am told PM is very angry wid present LG. PM thinks Mr Baijal not creating sufficient obstacles. Becoz despite all obstacles by LG, Del govt doing phenomenal work for people. Thats the reason Mr Jung was also removed. https://t.co/wp1WGUDHcN
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 5, 2018
मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलने पर भी की थी तीखी टिप्पणी
इससे पहले केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की ओर से मुगलसराय स्टेशन का नाम बदल कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर किए जाने को लेकर भी तीखी टिप्पणी की. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'बीजेपी को वोट दोगे तो शहरों और स्टेशनो के नाम बदलेंगे. AAP को वोट दोगे तो आपके बच्चों का भविष्य बदलेंगे.'
भाजपा को वोट दोगे तो शहरों और स्टेशनो के नाम बदलेंगे।
AAP को वोट दोगे तो आपके बच्चों का भविष्य बदलेंगे। https://t.co/giiQC3UZjx
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 5, 2018
लोकसभा चुनावों में अब एक साल ही रह गया है. जैसे-जैसे ये तारीख नजदीक आती जाएगी, पीएम मोदी और बीजेपी के खिलाफ केजरीवाल के तेवर और आक्रामक होते जाने की पूरी संभावना है. केजरीवाल की कोशिश खासतौर पर दिल्ली में मुकाबला बीजेपी बनाम आम आदमी पार्टी बनाने की है. जाहिर है ऐसी स्थिति में कांग्रेस के साथ दिल्ली में उसका गठबंधन बनता है तो केजरीवाल की कोशिश यही रहेगी कि आम आदमी पार्टी का हाथ कांग्रेस से ऊपर रहे.
आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को पूरी तरह नाकाम बताते हुए केजरीवाल ने 3 जून को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, 'पूरे देश की अर्थव्यवस्था को मोदी सरकार ने खराब कर दिया.' केजरीवाल ने 1 जून को पेट्रोल और डीजल की बढ़ी हुई कीमतों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करने वाले एक कार्टून को सोशल मीडिया पर साझा किया.
31 मई को कैराना उपचुनाव के नतीजों के बाद केजरीवाल ने ट्वीट किया, 'आज के नतीजे दिखाते हैं कि देशभर में मोदी सरकार के खिलाफ लोगों में बहुत ज्यादा ग़ुस्सा है. अभी तक लोग पूछते थे- विकल्प क्या है? अब लोग कह रहे हैं कि मोदी जी विकल्प नहीं हैं, पहले इन्हें हटाओ.'
आज के नतीजे दिखाते हैं की देश भर में मोदी सरकार के ख़िलाफ़ लोगों में बहुत ज़्यादा ग़ुस्सा है।
अभी तक लोग पूछते थे - विकल्प क्या है? अब लोग कह रहे हैं कि मोदी जी विकल्प नहीं हैं, पहले इन्हें हटाओ।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 31, 2018
ट्वीट कर कहा- पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री चाहती है जनता
राजनीति में आने से पहले केजरीवाल कांग्रेस और तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार पर जमकर हमले बोलते थे. लेकिन अब उन्हीं केजरीवाल ने 31 मई को अपने ट्वीट में लिखा, 'लोगों को डॉ मनमोहन सिंह जैसे एक पढ़े-लिखे प्रधानमंत्री की जरूरत महसूस हो रही है और लोग उनको मिस कर रहे हैं. लोगों को लग रहा है कि प्रधानमंत्री तो पढ़ा-लिखा ही होना चाहिए.'
30 मई को दिल्ली के पीडब्ल्यूडी और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के घर छापा पड़ने की खबर के तुरंत बाद केजरीवाल ने प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया पर सीधे-सीधे लिखा कि, 'आखिर प्रधानमंत्री मोदी क्या चाहते हैं?' 29 मई को केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर दिल्ली सरकार की ओर से स्वास्थ्य क्षेत्र में लागू की जाने वाली एक नीति का जिक्र करते हुए लिखा, 'मेरी चिंता बस इतनी है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी और BJP इस नीति को लागू होने देंगे. मैं उनसे दरख्वास्त करता हूं कि वे उपराज्यपाल के जरिए इस में अड़ंगा नहीं लगाएंगे.'
देखा जाए तो कमोबेश हर दिन केजरीवाल ने मोदी सरकार, पीएम मोदी और बीजेपी पर निशाना साधा है. आम आदमी पार्टी के सूत्रों ने केजरीवाल के इस नए दांव पर सीधे-सीधे कुछ नहीं कहा लेकिन इशारा दिया, 'जब कोई व्यक्ति बहुत मशहूर हो तो उसके खिलाफ बयान देना गलत नीति हो सकती है लेकिन जब कोई व्यक्ति अपने प्रसिद्धि से नीचे गिरने लगे तो उसकी आलोचना करना सही रणनीति होती है.'
आम आदमी पार्टी को लगता है कि देश में कई मोर्चों पर नाकामियों के चलते मोदी सरकार का ग्राफ नीचे गिर रहा है और यही सही मौका है उस पर आक्रमण तेज करने का, यही वजह है कि केजरीवाल ने अपनी पुरानी पहचान के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी से हर मोर्चे पर दो-दो हाथ करने की ठान ली है.