दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्टिंग आपरेशन की सलाह क्या दी, सरकारी हेल्पलाइन में स्टिंग करने के 101 तरीके जानने के लिए फोन कॉल की बाढ़ आ गई और जिन्हें सलाह मिल गई वो स्टिंगमेकर हो गए. रिश्वत लेते पुलिसवाले पकड़े गए तो कालाबाजारी करते राशन के दलाल. लेकिन जिस रफ्तार से दिल्ली 'स्टिंग का बादशाह' बनने को बेताब है, कई शंकाएं गहरा रहीं हैं. एचआईवी पीडितों के लिए एक स्वयंसेवी संस्था चला रहे इरफान (बदला हुआ नाम) ने अपना डर साझा करते हुए कहा, मैंने रिश्वत लेते हुए दो सिपाहियों को रंगे हाथों पकड़वा तो दिया लेकिन जिसने रिश्वत लेने भेजा उसका क्या? इरफान को ये डर भी है कि ऐसे स्टिंग ऑपरेशन में शिकायतकर्ता या पीड़ित पूरी तरह से सामने होता है अब वो अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं.
नारायणा के रहने वाले नवीन ने भी अरविंद केजरीवाल के कहे मुताबिक स्टिंग को हथियार बनाया और राशन की कालाबाजारी को कैमरे के जरिए सबको दिखा दिया. वो अब खुद आम आदमी के वॉलंटियर बन गए हैं. स्टिंग को अदालत में सबूत के तौर पर साबित करना भले ही मुश्किल है, लेकिन दिल्ली अब स्टिंग बादशाह बनने की ओर बढ़ चली है. स्पाई कैम धड़ाधड़ बिक रहे हैं. मुख्यमंत्री की हेल्पलाइन में मामलों की कतार लगी है.
कानून के मुताबिक किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ स्टिंग से पहले पुलिस या (एंटी करप्शन ब्रांच) को इस बारे में बताना जरूरी है, जिससे स्टिंग के मकसद पर सवाल न उठ सकें. स्टिंग को सच्चाई जांचने के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा जाता है. लेकिन दिल्ली में एक ही लैब है, जिसमें करीब 9000 मामलों की कतार पहले ही लगी हुई है. फिर भी अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की राजनीति में 'एंट्री' एक प्रयोग की तरह हुई है इसलिए उनका हर फैसला प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है. स्टिंग आपरेशन का ये फैसला भी कितना सही है या गलत इस नतीज़े तक पंहुचने के लिए भी अभी कसौटी के तमाम पड़ाव पार करने हैं.