आईटी कर्मी अभिषेक शुक्ला बड़े जोश और उम्मीदों के साथ आम आदमी पार्टी से जुड़े थे. 29 वर्षीय अभिषेक ने 5 जून को पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की और इस्तीफे की पेशकश की. अभिषेक ने रेलीगेयर में एनालिस्ट की नौकरी छोड़कर 2011 में आम आदमी पार्टी का दामन थामा था, लेकिन आज वो पार्टी के साथ जुड़े रहना नहीं चाहते.
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अपने इन सबसे कमजोर पलों में, पराजित केजरीवाल लोकसभा चुनाव में पार्टी के लगभग सफाए के बाद अपना राजनैतिक वजूद बचाए रखने के लिए जूझ रहे हैं और अपनी निराशा को ढंकने के लिए बहादुरी का मुखौटा पहने हुए हैं. देशभर में कार्यकर्ता छोड़कर जा रहे हैं. पिछले अक्टूबर में जो तादाद 3.5 लाख थी, अब वो 50 हजार से भी कम रह गई है.
अपने 49 दिनों के शासनकाल के दौरान और उसके बाद भी केजरीवाल ने पार्टी को लेकर कई ऐसे निर्णय लिए हैं जो AAP के लिए घातक साबित हुए.
5 घातक गलतियां जो केजरीवाल को सालती रहेंगी
1. AAP के वोटरों और समर्थकों ने इस फैसले को पलायन की तरह लिया. लोकसभा चुनाव में दिल्ली में पार्टी के वोटों में इजाफा हुआ, लेकिन मध्यवर्गीय वोटर छिटक गए.
2. पार्टी राष्ट्रीय लहर का अनुमान नहीं लगा पाई, 434 में से 414 सीटों पर जमानत जब्त.
3. पार्टी के भीतर कुछ खास लोगों को तरजीह मिलने की धारणा बनी.
4. केजरीवाल जैसे मजबूत उम्मीदवार दिल्ली के बाहर चले गए. कमजोर उम्मीदवारों को अपने ही गढ़ में पराजय का मुंह देखना पड़ा.
5. बीजेपी के बदलाव और सुशासन के वादों के आगे फीका पड़ा विरोध.