दिल्ली में फरवरी का मौसम बहुत खुशनुमा होता है, ना ज्यादा गर्मी-ना ज्यादा ठंडी. जनवरी की सिकुड़ी हुई धूप भी अपना दायरा बढ़ाने लगती है. कांग्रेस पार्टी भी दिल्ली के इस मौसम से कुछ संकेत ले रही हो. अमूमन खामोश शनिवार को सुबह ही राहुल गांधी के तुगलक रोड आवास पर हलचल नजर आई. दिल्ली के नेतागण राहुल गांधी से मिल रहे थे. दिलचस्प बात यह थी कि उनकी इस मुलाकात में कांग्रेस के बागी नेता अरविंदर सिंह लवली भी शामिल थे. मीटिंग के बाद अरविंदर सिंह लवली, हारून यूसुफ और अजय माकन के साथ एक ही गाड़ी में बैठ कर बाहर निकले और कुछ ही देर में प्रेस वार्ता में यह ऐलान कर दिया कि उनकी 11 महीने बाद पार्टी में घर वापसी हो गई है.
क्यों कहा कांग्रेस को अलविदा
कुछ एक साल पहले शीला सरकार में दस साल सत्ता का सुख भोग चुके अरविंदर लवली कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से हाथ मिलाते हुए तस्वीरों ने सुर्खियां बटोरी. तब अरविंदर सिंह लवली के लिए कांग्रेस पार्टी एक भ्रष्ट पार्टी थी जो एमसीडी चुनाव में टिकटों की खरीद-फरोख्त कर रही थी. उनके मुताबिक कांग्रेस का ' भविष्य ' खत्म हो गया था.
यह वो वक्त था जब एमसीडी चुनाव सर पर थे और कांग्रेस पार्टी को उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी. वो पार्टी जिसने उन्हें खड़ा किया, देखते देखते वो पार्टी का बड़ा चेहरा बन गये. 30 साल में वो यूथ कांग्रेस नेता से लेकर शीला सरकार में शिक्षा और ट्रांसपोर्ट मंत्री रहे. 2017 आते आते दिल्ली में कांग्रेस गर्दिश में थी और ' नेता जी' को भाजपा की हरियाली नज़र आ रही थी.
अजय माकन से रार
बची कूची कसर कांग्रेस दिल्ली अध्यक्ष अजय माकन के कोल्ड ट्रीटमेंट ने पूरी कर दी थी. यूं तो राहुल के आंखों के तारे माकन के तीखे तेवर से ऐके वालिया, रमाकांत गोस्वामी, हारून यूसुफ़, जेपी अग्रवाल और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दिक्षित भी खीजे हुए थे. पर अपने 'आत्म सम्मान' की रक्षा के लिए घर के भेदी ने लंका ढहाने की सोच ली.
भाजपा एमसीडी चुनाव जीत गई और लवली साहब को भाजपा ने ठंडे बस्ते में डाल दिया. जाहिर है हनीमून पीरियड खत्म होने के बाद अरविंदर सिंह लवली को अब दोबारा कांग्रेस की याद सताने लगी तो वापस चले आए.
9 महीने बाद ना तो कांग्रेस पार्टी को लवली की शिकायतें और घोषणा याद है और ना ही नेताजी को कांग्रेस पार्टी पर लगाए हुए गंभीर आरोप. दोनों इसी कहावत से संतोष कर रहे हैं कि सुबह का भूला अगर शाम को घर वापस लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते. तमाम सवालों के जवाब पर रणदीप सुरजेवाला ने यह कह दिया कि अरविंदर सिंह लवली उस वक्त आहत थे और जब कोई अपना आहत होता है तो जो बातें कहता है तो उसको दिल से नहीं लेना चाहिए.
उधर राहुल गांधी के चहेते माकन की सियासी गणित में अरविंदर सिंह लवली घर वापसी बिल्कुल फिट बैठती है. 2014 में कमान संभालने के बाद माकन के चलते कई कद्दावर नेता अलग थलग पड़ते जा रहे थे. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी माकन को अपने कुनबे को एकजुट रखने की हिदायत दे दी.
समझदार को इशारा और नेता के लिए आलाकमान का तलब काफी है. सो अपनी पुरानी विरोधी दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को पहले मनाया और फिर लवली जैसे बागी नेताओं को भी एकजुट करने की कवायद में है.
दिल्ली कांग्रेस की सियासत में यह काफी दिलचस्प मोड़ है और माकन के लिये टीम राहुल में अहम रोल बरकरार रखने के लिए दिल्ली के किले को मजबूत रखना ज़रूरी है.