ओला, उबर जैसी एप बेस्ड कैब के खिलाफ ऑटो और टैक्सी चालकों की हड़ताल राजधानी में तीसरे दिन भी जारी है. हालांकि गुरुवार को इस हड़ताल का असर राजधानी की सड़कों पर थोड़ा कम नजर आया. वहीं, मुख्यमंत्री आवास के बाहर ऑटो चालकों का विरोध-प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा.
वहीं, इस हड़ताल पर आम आदमी पार्टी ने कहा कि सरकार लगातार यूनियन के सम्पर्क में है, मगर बीजेपी पोषित कुछ ऑटो वाले नहीं चाहते कि हड़ताल खत्म हो. 90-95 फीसदी ऑटो वाले चाहते हैं कि हड़ताल खत्म हो मगर 5 फीसदी बीजेपी वाले नहीं चाहते. AAP नेता दिलीप पाण्डेय ने कहा, 'मैं दिल्ली पुलिस से गुजारिश करता हूं कि जो ऑटो वाले गुंडागर्दी कर रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो.'केजरीवाल सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते ऑटो चालकों के भीतर भी गुटबाजी साफ नजर आ रही थी. जहां पहले दिन ऑटो यूनियन को काली पीली टैक्सी के चालकों का समर्थन था, वहीं दूसरे दिन केजरीवाल के घर के बाहर सिर्फ ऑटो चालक ही नजर आए. भारतीय मजदूर संघ के महासचिव राजेंद्र सोनी के मुताबिक, ऑटो-टैक्सी चालक एकजुट हैं.
गडकरी से मिलेंगे ऑटो चालक
दिल्ली सरकार के आरोपों को खारिज करते हुए सोनी ने कहा कि अपनी रोजी-रोटी छोड़कर कोई यहां राजनीति नहीं कर रहा. ओला-उबर की वजह से हमारे रोजगार पर मार पड़ रही है, इसीलिए हम दोनों सरकारों से इसे बंद करने की मांग कर रहे हैं. केजरीवाल सरकार ने हमारी आवाज सुनकर भी अनसुना कर दिया. लिहाजा हम केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर, ऐसी एप बेस्ड सर्विस को बंद करने की मांग करेंगे.
हड़ताल के नाम पर दादागिरी से किया इंकार
हड़ताल के बावजूद कई ऑटो चालक राजधानी में चल रहे हैं. समर्थन नहीं देने वाले चालकों को हड़ताली ऑटो चालक समूह में धमकाते हुए और उनके ऑटो को नुकसान पहुंचाते नजर आए. हड़ताल के नाम पर हो रही इस गुंडागर्दी को भारतीय मजदूर संघ ने सिरे से खारिज करते हुए कहा की हमें बदनाम करने के लिए कुछ लोग ऐसे काम कर रहे हैं.
हड़ताल से यात्री परेशान
ऑटो-टैक्सी चालकों की हड़ताल का असर सुबह से देखने को मिला. नई दिल्ली स्टेशन की ऑटो टैक्सी लेन पूरी तरह खाली रही. इसके चलते यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जो टैक्सी वाले जाने के लिए हामी भर रहे हैं वो ज्यादा पैसे वसूल कर रहे हैं. यात्रियों ने बताया कि ओला-उबर वाले नई दिल्ली स्टेशन पर आने से इंकार कर रहे हैं, क्योंकि उनको हड़ताली ड्राइवरों से गाडी पंचर कर देने का डर है.