दिल्ली में निजाम बदल गया है. आम आदमी पार्टी की विदाई हो गई है और बीजेपी ने सत्ता की चाबी संभाल ली है. नई सरकार से ना सिर्फ आम आदमी की उम्मीदें जुड़ी हैं, बल्कि सरकारी महकमे भी पेंडिंग अप्रूवल के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हैं. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भी सालों से कई केसों में जांच की मंजूरी का इंतजार कर रहा है.
आजतक के हाथ पेंडिंग केसों से जुड़ी फाइलों की जानकारी हाथ लगी है. इन केसों की मंजूरी के लिए दिल्ली सरकार
सक्षम प्राधिकारी है. एसीबी के अनुरोध दिल्ली सरकार की अथॉरिटी के पास लंबित हैं.
जानकारी के मुताबिक, एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम विभिन्न आरोपों के तहत अपने अधिकारियों और विधायकों के खिलाफ आरोपों की जांच करने/ चार्जशीट दाखिल करने की मंजूरी का इंतजार कर रही है.
53 अनुरोध लंबित
डेटा से पता चलता है कि जांच के लिए 53 अनुरोध लंबित हैं. इसके अलावा, तीन अभियोजन भी दिल्ली सरकार के सक्षम प्राधिकारी के समक्ष लंबित हैं, इन्हें अब तक मंजूरी नहीं दी गई है. कारण भी स्पष्ट नहीं किया गया है.
सूत्रों का कहना है कि धारा 17(ए) पीओसी के तहत 53 रिक्वेस्ट पेंडिंग हैं. ये विभिन्न विभागों की भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच से संबंधित है. 2021 से मंजूरी नहीं दी गई. दूसरी ओर धारा (19) पीओसी के तहत 2018 से अनुरोध मंजूर नहीं किए गए हैं.
तीन मामलों की केस समरी...
1. एफआईआर नंबर 03/2018: इस मामले में कृष्णा नगर से आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व विधायक एसके बग्गा के खिलाफ आरोप शामिल हैं. उन पर राजू सचदेवा नाम के व्यक्ति से कई मौकों पर रिश्वत लेने का आरोप है. भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने 28 अप्रैल, 2022 को दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष से पीओसी अधिनियम की धारा 19 के तहत अभियोजन की मंजूरी मांगी. हालांकि, 17 अक्टूबर, 2022 को मंजूरी अस्वीकार कर दी गई. एसीबी ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने पर विचार किया, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट के स्थायी वकील (क्रिमिनल) ने कहा कि यह अपील के लिए उपयुक्त मामला नहीं है.
2. एफआईआर संख्या 11/2022: नवंबर 2022 में एक शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि मॉडल टाउन से AAP विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी ने उसकी पत्नी को पार्षद पद का टिकट दिलाने के लिए ₹90 लाख की रिश्वत मांगी. शिकायतकर्ता ने कथित तौर पर त्रिपाठी के बहनोई ओम सिंह को ₹35 लाख और वजीरपुर से विधायक राजेश गुप्ता को ₹20 लाख दिए. इसके बावजूद, टिकट किसी अन्य व्यक्ति को दे दिया गया. मामले में एक जाल बिछाया गया और कई गिरफ्तारियां हुईं. एसीबी ने एक आरोप पत्र तैयार किया और अभियोजन की मंजूरी मांगी, लेकिन सक्षम प्राधिकारी ने अनुमति देने से इनकार कर दिया. बाद में आरोप पत्र को दोबारा तैयार किया गया और मंजूरी के लिए एक नई रिक्वेस्ट पर कार्रवाई की जा रही है.
3. 20 जुलाई, 2023 को शिकायत मिली: दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और AAP विधायक अमानतुल्ला खान के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि फतेहपुरी जामा मस्जिद से सटे एक ऐतिहासिक स्कूल को अवैध रूप से शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में बदल दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप करोड़ों रुपये की वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग हुआ. एसीबी ने पीओसी अधिनियम की धारा 17ए के तहत जांच करने की अनुमति मांगी. 7 फरवरी, 2024 को अनुरोध प्रस्तुत किया और 15 अप्रैल, 2024 को एक रिमाइंडर भेजा. जांच के लिए अभी भी मंजूरी नहीं मिली है.