कोरोना काल के बीच अचानक चर्चा में आए ‘बाबा का ढाबा’ के मालिक और दिल्ली के मालवीय नगर इलाके में रहने वाले कांता प्रसाद ने खुदकुशी की कोशिश की है. हालांकि उनका अब अस्पताल में इलाज चल रहा है. पिता की खुदकुशी की कोशिश पर बेटे आजाद का कहना है कि उन्हें डिप्रेशन की शिकायत थी और पहले भी ऐसी कोशिश कर चुके हैं.
बताया जा रहा है कि कांता प्रसाद ने कल गुरुवार को शराब पीकर नींद की गोली खाई और आत्महत्या की कोशिश की. पूरे प्रकरण पर कांता प्रसाद के बेटे आजाद से आजतक ने बात की और उनसे जानना चाहा कि आखिरकार क्या वजह रही जिसके कारण कांता प्रसाद ने खुदकुशी करने की कोशिश की. यह भी जानना चाहा कि उन्हें फोन करके कौन परेशान कर रहा था और दुकान पर कौन ताना मारता था.
'वह डिप्रेशन में थे'
आजतक से बातचीत में आजाद ने बताया कि उन्होंने नींद की गोलियां खाई थीं. वह डिप्रेशन में थे. 6 साल पहले भी उन्होंने गोली खाई थी. फिलहाल वह अभी वेंटिलेटर पर हैं. इन दिनों वह डिप्रेशन में थे. उन्होंने बताया कि कल सुबह में उन्होंने गोली खाई थी और शाम में उन्हें तकरीबन 6 बजे अस्पताल में भर्ती करवाया.
डिप्रेशन किस वजह से थी, इस पर आजाद ने कहा कि डिप्रेशन की वजह यह थी कि लोग कह रहे थे कि माफी मांगो. लोग उन्हें फोर्स भी करते थे और गाली भी देते थे. कई लोग उन्हें फोन करते थे और कई लोग यूट्यूब पर भी बोलते थे. यहां तक लोग दुकान पर भी आते थे और उन्हें भला बुरा बोल कर चले जाते थे.
आजाद ने बताया कि फोन पर तो लोग बहुत कुछ बोलते थे. मैं भी फोन उठाते-उठाते थक गया था.
'नींद की गोली कहां से आई नहीं जानता'
यूट्यूबर गौरव वासन के साथ विवाद के खत्म होने पर आजाद ने कहा कि गौरव वासन के आने के बाद लग रहा था कि मामला ठीक हो गया है. लेकिन वह बहुत ज्यादा टेंशन में थे और बहुत परेशान हो गए थे. वे हमें अपने टेंशन के बारे में बहुत ज्यादा कुछ नहीं बताते थे.
नींद की गोली कहां से आई, के सवाल पर आजाद ने कहा कि पता नहीं उन्हें नींद की गोली कहां से मिली.
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उन्होंने कहा कि पैसे को लेकर भी कुछ ना कुछ मामला था. छोटे भाई ने पुलिस को भी पैसे के मामले में बताया है और जो कंप्लेन दिया है उसने भी लिखवाया है कि आखिरकार क्या-क्या हुआ था.
पिता कांता प्रसाद की तबीयत के बारे में आजाद ने कहा कि अस्पताल से जो बात हुई उससे पता चल रहा है कि उनकी स्थिति सही नहीं है और वह अभी वेंटिलेटर पर हैं.
अचानक मिली लोकप्रियता को लेकर आजाद ने कहा कि प्रसिद्धि की वजह से परेशानी तो नहीं हुई लेकिन जो लोग बाद में जुड़े उन लोगों ने बाबा को भटकाना शुरू किया और वहीं से मामला भटक गया. अगर गौरव बाबा की जिंदगी में रहते तो सब ठीक रहता और जो लोग आए उन्होंने परेशानी बढ़ा दी. बाबा के मन में वह बहुत मीठे बन गए थे और उन्होंने ही गौरव के प्रति कड़वाहट फैलाई.