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दिल्ली पुलिस ने बेबी केयर सेंटर के मालिक डॉक्टर नवीन खिची और घटना के वक्त ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर आकाश को गिरफ्तार कर लिया है. नवीन को दिल्ली के पश्चिम विहार से गिरफ्तार किया गया है. नवीन के दिल्ली में कई बेबी सेंटर चलते हैं. पुलिस उससे पूछताछ कर रही है. दिल्ली पुलिस ने मामले में IPC 304 और IPC की धारा 308 जोड़ा है. डॉक्टर आकाश जिस वक्त आग लगी उस वक्त ड्यूटी डॉक्टर था. यानी उस वक़्त का हेड था, वह आग लगते ही मौके से फरार हो गया था.
इस घटना के मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं. इसमें घटना का पता लगाना जिनके कारण आग की त्रासदी हुई, घटना के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों पर जिम्मेदारी तय करना और भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो इसके उपाय सुझाने को कहा गया है.
पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार में शनिवार रात बेबी केयर सेंटर में आग लगने से 7 बच्चों की जलकर मौत हो गई थी. जब ये हादसा हुआ तब बेबी केयर सेंटर में 12 नवजात बच्चे थे. 5 बच्चों का इलाज चल रहा है. हादसे के बाद बेबी केयर सेंटर का मालिक डॉक्टर नवीन खिची फरार चल रहा था.
बेबी केयर सेंटर का आपराधिक लापरवाही का इतिहास रहा है
बता दें कि डॉ. नवीन खिची के बेबी केयर सेंटर का आपराधिक लापरवाही का इतिहास रहा है. 2021 में नवीन खिची एंड केयर- न्यू बोर्न एंड चाइल्ड हॉस्पिटल, विवेक विहार फेज वन के खिलाफ IPC की धारा 325, 506, 34 और किशोर न्याय अधिनियम (बच्चों की सुरक्षा और देखभाल) की धारा 75 के तहत FIR दर्ज की गई थी. इस FIR में नवीन खिची के खिलाफ नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने और केस हिस्ट्री में हेराफेरी करने का आरोप था. ये FIR हाथरस के एक दंपति ने दर्ज कराई थी, जिन्होंने अपने नवजात बच्चे को इस अस्पताल में भर्ती कराया था.
दरअसल, अस्पताल में दंपति के बच्चे का बायां हाथ टूट गया था. जब दंपत्ति ने अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज में देखा तो उन्हें पता चला कि एक नर्स उनके बच्चे को पीट रही थी, जिससे उसकी हड्डी टूट गई. जब दंपति ने इसकी शिकायत नवीन खिची से की तो कथित तौर पर उन्होंने दंपति को धमकी दी थी. इसके अलावा 2021 में जांच के दौरान यह भी पाया गया कि दिल्ली नर्सिंग होम अधिनियम के तहत नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन नहीं था, लेकिन इस मामले में जुर्माना भरने के बाद निपटारा कर दिया गया था.
हादसे के बाद उठ रहे ये सवाल
इस हादसे के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं. जैसे 7 बच्चों मासूम बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन? क्या स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बेबी केयर सेंटर का निरीक्षण किया था? क्या सभी नॉर्म्स को पूरा करके ही सेंटर चलाने की इजाजत दी गई थी? क्या बेबी केयर सेंटर को फायर NOC मिली थी ? क्या लोकल पुलिस की मिलीभगत से चल रहा था अवैध तरीके से ऑक्सीजन सिलेंडर की रिफलिंग का काम? क्या लोकल पुलिस को कटिंग मिल रही था? इलाके के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक को बेबी केयर सेंटर में अवैध ऑक्सीजन की रिफलिंग की जानकारी थी, लेकिन लोकल पुलिस ने आंखें मूंद रखीं थीं.
बिल्डिंग में हो रही थी अवैध ऑक्सीजन सिलेंडर की रिफिलिंग
जब बेबी केयर सेंटर में आग लगी तो बिल्डिंग में लगातार धमाके की आवाजें आ रहीं थीं. आस पास के लोग चीख चिल्ला रहे थे. यह बात सामने निकलकर आ रही है कि बिल्डिंग में बड़ी संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर रखे गए थे और ऑक्सीजन सिलेंडर फटने से ही यहां आग लगी. सवाल उठ रहे हैं कि यहां आखिर इतनी बड़ी संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर क्यों रखे गए थे और क्यों मासूमों की जान के साथ खिलवाड़ किया गया.
120 गज की बिल्डिंग में बना था बेबी केयर सेंटर
दिल्ली फायर विभाग के मुताबिक, बेबी केयर सेंटर 120 गज की बिल्डिंग में बना था. फर्स्ट फ्लोर से 12 बच्चों को रेस्क्यू कराया गया था जिसमें से 7 बच्चों ने अस्पताल में दम तोड़.