scorecardresearch
 

Badaun Double Murder: मासूमों की हत्या के वक्त साजिद के दिमाग में क्या चल रहा होगा? जानें क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक

बदायूं में दो मासूमों की बेरहमी से हुई हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं. हर किसी के मन में बार-बार यह सवाल आ रहा है कि आखिर बच्चों से साजिद की ऐसी क्या नाराजगी होगी कि उन्हें जान से मार दिया.मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि सिर्फ एंगर इश्यू को लेकर इस वारदात को नहीं देखा जा सकता है. ऐसे में हत्या के समय आरोपी की मानसिक स्थिति क्या थी और किस मनोवैज्ञानिक दशा से वह गुजर रहा था. इस पर ध्यान देना जरूरी है.

Advertisement
X
बदायूं डबल मर्डर केस की वजह जानने में जुटी पुलिस
बदायूं डबल मर्डर केस की वजह जानने में जुटी पुलिस

बदायूं में दो मासूमों की बेरहमी से हुई हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं. जिस खौफनाक तरीके से बच्चों को मौत के घाट उतारा गया. उससे आरोपी साजिद की मानसिक और मनोवैज्ञानिक हालत को लेकर भी कई तरह की चर्चा हो रही है. आखिर, वारदात के वक्त साजिद के दिमाग में चल क्या रहा था. क्या वह मानसिक रूप से बीमार था या फिर शांत सा दिखने वाले साजिद के अंदर कोई साइको किलर छिपा था, जो उस दिन ट्रिगर हो गया. 

Advertisement

हर किसी के मन में बार-बार यह सवाल आ रहा है कि आखिर बच्चों से साजिद की ऐसी क्या नाराजगी होगी कि उन्हें जान से मार दिया. आरोपी का बच्चों के साथ उठना बैठना भी नहीं था. मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि सिर्फ एंगर इश्यू को लेकर इस वारदात को नहीं देखा जा सकता है. आरोपी की उम्र 22 साल के आसपास बताई जा रही है और उनका कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड भी नहीं है.

मानसिक रूप से बीमार से बीमार था साजिद

एसएसपी आलोक प्रियदर्शी बताया कि जावेद से पूछताछ के दौरान पता चला कि साजिद मानसिक रूप से बीमार था. इस वजह से वह अक्सर एग्रेसिव भी हो जाता था. वहीं मोहल्ले वालों के मुताबिक वह शांत प्रवृत्ति का शख्स था. उसकी कभी किसी से लड़ाई झगड़े की बात भी सामने नहीं आई है. वहीं परिजनों के मुताबिक साजिद का दरगाह पर इलाज चल रहा था. साथ ही परिजनों ने बताया कि बचपन से ही वह गुस्सैल प्रवृत्ति का था. 

Advertisement

गुस्से में कत्ल कर देना बेहद खतरनाक

ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि युवाओं में इतना गुस्सा क्यों बढ़ रहा है कि वो किसी की जान लेने से भी नहीं चूकते. इस मामले पर मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान (IHBAS) के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर उदय कुमार सिन्हा का कहना है कि यह एक गंभीर बात है और इस पर ध्यान देने की जरूरत है. जैसा की उसके परिजनों का कहना है कि अच्छा हुआ उसे एनकाउंटर में मार दिया गया. इसका मतलब यह है कि लंबे समय से उसके साथ कुछ ऐसा हो रहा था. जिसकी वजह से वो अपने गुस्से पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था. गुस्से में बेहरमी से कत्ल कर देने यह एक खतरनाक है. 

डॉक्टर उदय कुमार सिन्हा
डॉक्टर उदय कुमार सिन्हा

गलत चीजों से युवा हो रहे जल्दी प्रभावित

डॉक्टर उदय सिन्हा का कहना है कि आजकल युवाओं का माइंड कई बातों से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाता है. फिर वो उन चीजों को आजमाने की सोचता हैं. बहुत तरह की सूचनाएं अलग-अलग सोर्स से आती रहती है. गलत जानकारियों से भी युवा प्रभावित हो जाते हैं. जैसे, ब्लैक मैजिक, जल्दी अमीर बनने के उपाए, वगैरह-वगैरह. फिर इस तरह की जानकारियों को अपने टैंपर के साथ मिलकर वारदातों को अंजाम दे देते हैं. 

Advertisement

कम उम्र में युवा हो रहे गुस्से का शिकार

किशोरावस्था में गुस्सैल होना आमबात है पुराने जमाने में भी लोगों को गुस्सा आता था पर उस वक्त लोगों को ज्यादा जानकारी भी नहीं होती थी और गाली-गलौज कर अपनी भड़ास निकला लेते थे. लेकिन आजतक के युवा अलग-अलग तरीकों से अपने गुस्सा एक्प्रेस करते हैं और कई बार खौफनाक कदम उठा लेते हैं. क्योंकि इनके पास अपने गुस्से को दिखाने के कई सोर्स हैं. 

गुस्से को एक्सप्रेस करने का गलत तरीका अपनाते हैं युवा

आज के युवाओं को पता है कि वो अपने गुस्से को कई तरीके से एक्सप्रेस कर सकते हैं. गुस्से की वजह भी हमारे समाज में बहुत है. नौकरी, गरीबी, एजुकेशन की कमी, सोशल इंफ्लूएंस, क्राइम कंटेंट को ज्यादा देखना, इन वजहों से गुस्सा दिन पर दिन युवाओं में बढ़ता जा रहा है. 

 

मेंटल हेल्थ पर खुलकर होनी चाहिए बातचीत

उदय सिन्हा के अनुसार एंगर इश्यू और मेंटल हेल्थ पर खुलकर बातचीत करने की जरूरत है. सिर्फ किताबों में ही नहीं, माता-पिता के साथ टीचर की ड्यूटी भी बनती है कि बच्चों में बढ़ते एंगर इश्यू को समझकर इसे ठीक करें. भगवान को याद करने के लिए हम कम्यूनिटी में हम जागरण करवाते हैं. इसके अलावा और भी कई तरह की अलग-अलग गतिविधि आयोजित करते हैं. लेकिन एंगर इश्यू पर इस तरह के कार्यक्रम या संगोष्ठी नहीं होती है. अगर हम इन मुद्दों पर भी संगोष्ठियां करें तो काफी हद इस चीजों को कंट्रोल किया जा सकता है. 

Advertisement
डबल मर्डर के आरोपी साजिद और जावेद
डबल मर्डर के आरोपी साजिद और जावेद

 

कम्यूनिटी लेवल पर बातचीत करने का हो प्रयास
उदय सिन्हा ने बताया कि हमें सबको बुलाकर इस टॉपिक पर बात करने की जरूरत हैं. तभी सही और सटीक जानकारी लोगों तक पहुंचेगी. इसके लिए बड़े स्तर पर हर किसी को काम करने की जरूरत है. जब तक इन बातों को हम कम्यूनिटी में डिस्कस नहीं करेंगे. तब तक यह प्रभावी नहीं होगा. 

बच्चों से बात कर, उन्हें सिखाएं एंगर कंट्रोल
माता-पिता को भी यह सिखना चाहिए कि अगर बच्चा गुस्से में हो तो उसे कैसे समझाएं. बच्चें नहीं जानते हैं कि वो अपने एंगर को कैसे कंट्रोल कर सकते हैं. क्योंकि सिखाने वाले को ही नहीं पता होता है कि गुस्से को कैसे कंट्रोल किया जाए. इसलिए इन बातों पर डिस्कशन नहीं होता है. समाज में ऐसे बातचीत और डिस्कशन की जरूत है.

मां-पिता को समझना होगा बच्चों का एंगर इश्यू
बच्चों को अगर गुस्सा आ रहा है, या वो किसी परेशानी से जूझ रहे हैं तो उसके जिम्मेदार उनके अभिभावक हैं. हमें इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी. सिर्फ यह कह देना कि आजकल के बच्चे नहीं समझते है, इससे बात नहीं बनेगी. क्योंकि जो चीज आप अपने बच्चे को नहीं सिखा पाएं, तो कैसे उनसे अपेक्षा कर सकते हैं कि वह उन चीजों से निपटना खुद सीख जाएंगे.

Live TV

Advertisement
Advertisement