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बटला हाउस एनकाउंटर फर्जी नहीं, शहजाद इंस्‍पेक्‍टर मोहन चंद्र शर्मा की हत्‍या का दोषी: कोर्ट

दिल्‍ली में पांच साल पहले हुए बटला हाउस एनकाउंटर मामले में फैसला आ गया है. दिल्‍ली की साकेत कोर्ट ने कहा है कि एनकाउंटर फर्जी नहीं था.

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दिल्‍ली में पांच साल पहले हुए चर्चित बटला हाउस एनकाउंटर मामले में फैसला आ गया है. दिल्‍ली की साकेत कोर्ट ने कहा है कि एनकाउंटर फर्जी नहीं था. इसी के साथ कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार इकलौते संदिग्‍ध आतंकी शहजाद उर्फ पप्‍पू को इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की हत्‍या का दोषी माना है. अब सोमवार को सजा पर बहस होगी.

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पढ़ें: बटला हाउस एनकाउंटर पर इंडिया टुडे की कवर स्‍टोरी

कोर्ट ने शहजाद को आईपीसी की धारा 302, 307, 186 और 120 बी के तहत दोषी करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि शहजाद ने गोली मारकर इंस्‍पेक्‍टर मोहन शर्मा की हत्‍या की. यही नहीं उसने बाकी पुलिसवालों पर भी गोलियां चलाईं और हेड कॉन्‍स्‍टेबल बलवंत सिंह की हत्‍या की भी कोशिश की.

उधर, शहजाद के घरवालों ने कहा है कि कोर्ट के फैसले से नाखुश हैं. उनका कहना है कि उसे फंसाया गया है. उसके चाचा ने कहा है कि वे अब हाईकोर्ट में अपील करेंगे.

पांच साल पहले 19 सितंबर 2008 को जामिया नगर इलाके के बाटला हाउस में एक एनकाउंटर हुआ था, जिसमें दो आतंकी मारे गए थे. दिल्ली पुलिस के एक जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा भी शहीद हुए थे. दिल्ली पुलिस ने उस वक्त दावा किया था कि उसने उसी महीने दिल्ली में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के साजिशकर्ताओं का एनकाउंटर किया है, जबकि कुछ लोगों का कहना था कि यह मुठभेड़ फर्जी थी . लेकिन अब कोर्ट का यह फैसला दिल्ली पुलिस के लिए बड़ी राहत लेकर आया है. इस फैसले से एनकाउंटर को लेकर उठ रहे सवालों को खारिज कर दिया है.

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अपनी चार्जशीट में पुलिस ने कहा था कि उस मुठभेड़ के दौरान शहजाद अपने दोस्त जुनैद के साथ बालकनी से कूदकर फरार हो गया था. पुलिस ने कहा था कि यह सभी आतंकवादी इंडियन मुजाहिदीन आतंकवादी संगठन से थे, जो अहमदाबाद और दिल्ली धमाकों में तो शामिल थे ही, उनकी प्लानिंग दिल्ली में तब और धमाके करने की थी. इस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस ने मोहन चंद्र शर्मा जैसा अपना एक जांबाज सिपाही भी खोया, लेकिन इसके बाद भी यह एनकाउंटर काफी सवालों के घेरे में भी रहा समय-समय पर कुछ लोगों ने इसे फेक एनकाउंटर कहने में भी देर नहीं की.

अदालत ने 20 जुलाई को पुलिस और बचाव पक्ष की अंतिम जिरह पूरी होने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रखा था. सुनवाई के दौरान, शहजाद ने 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों के संबंध में वहां की साबरमती जेल में बंद सैफ और जीशान को बचाव पक्ष के गवाहों के तौर पर बुलाकर दावा किया था कि वह मौके पर नहीं था.

अभियोजन पक्ष ने दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा के छापामार दल में शामिल छह चश्मदीदों सहित 70 गवाहों से पूछताछ की थी. पुलिस ने कहा था कि उसके पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त परिस्थितिजन्य साक्ष्य तथा फोन रिकार्ड हैं कि शहजाद जामिया नगर के फ्लैट में भी मौजूद था और निरीक्षक शर्मा सहित अन्य पुलिसकर्मियों पर गोली चलाने वालों में भी शामिल था.

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पुलिस ने कहा था कि 19 सितंबर 2008 को मुठभेड़ के दौरान पुलिस दल पर गोलियां चलाने के बाद शहजाद और जुनैद बालकनी से कूदकर फरार हो गये थे. शहजाद के अधिवक्ता ने हालांकि दावा किया था कि उनका मुवक्क्लि उस फ्लैट में मौजूद नहीं था जहां गोलीबारी हुई थी.

बचाव पक्ष ने यह भी दावा किया था कि बैलिस्टिक रिपोर्ट के अनुसार, दिवंगत पुलिस अधिकारी के शव से मिली गोलियां गिरफ्तारी के वक्त शहजाद के पास से कथित रूप से मिले हथियार से नहीं बल्कि घटनास्थल से जब्त बंदूक से मेल खाती हैं.

जानें क्‍या था बटला एनकांटर का पूरा घटनाक्रम
इंडियन मुजाहिद्दीन के संदिग्ध आतंकवादी शहजाद को 19 सितम्बर 2008 के बटला हाउस मुठभेड़ मामले में दिल्ली की एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने को लेकर सिलसिलेवार घटनाक्रम निम्नलिखित है.
19 सितम्बर, 2008: दिल्ली के जामिया नगर में बटला हाउस के एल-18 में छापेमारी करने वाले दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ और आईएम के संदिग्ध सदस्यों के बीच मुठभेड़ में पुलिस निरीक्षक एम. सी. शर्मा को अपनी जान गंवानी पड़ी. शहजाद एवं अन्य आरोपी जुनैद (अब घोषित भगोड़ा) फरार हो गए. दो संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद गोलीबारी में मारे गए जबकि आईएम के एक संदिग्ध सदस्य मोहम्मद सैफ ने आत्मसमर्पण कर दिया.
1 जून, 2010: शाहजाद को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से गिरफ्तार किया गया.
अप्रैल, 2010: मामले में दिल्ली की अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया गया. जुनैद को फरार घोषित कर दिया गया. आरोपपत्र में कहा गया कि मुठभेड़ 13 सितम्बर 2008 को करोल बाग, कनाट प्लेस, ग्रेटर कैलाश और इंडिया गेट पर हुए विस्फोट की जांच का हिस्सा थी. विस्फोटों में 26 लोग मारे गए थे और 133 जख्मी हुए थे.
15 फरवरी, 2011: अदालत ने शहजाद पर हत्या, हत्या का प्रयास, षड्यंत्र और इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए.
20 जुलाई, 2013: अदालत ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा.
25 जुलाई, 2013: अदालत ने शहजाद को निरीक्षक एम. सी. शर्मा की हत्या और अन्य पुलिस अधिकारियों पर हमले का दोषी पाया. उसके खिलाफ सजा के लिए 29 जुलाई की तारीख तय की.

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