पार्टी विद डिफरेंस का नारा देने वाली बीजेपी की कार्यशैली हो या फिर व्यवहार, अब कांग्रेस के ढर्रे पर चलती दिख रही है. बीजेपी हमेशा कांग्रेस नेताओं पर नेहरु-गांधी परिवार की चापलूसी का आरोप लगाती रही है. इसमें कांग्रेस के नेताओं ने सही मायने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी है.
अगर विपक्ष की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी या राहुल गांधी पर कोई टिप्पणी हो जाए तो कांग्रेस के ऐसे-ऐसे नेता बचाव में कूद पड़ते हैं जो पार्टी की ओर से मीडिया में बातचीत करने के लिए अधिकृत नहीं होते हैं. हाल ही में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस अध्यक्ष और केंद्रीय राज्यमंत्री चरणदास महंत ने तो चापलूसी की हद पार करते हुए कह दिया था कि अगर सोनिया गांधी उन्हें कांग्रेस कार्यालय में झाड़ू लगाने को कहे तो तो वे खुशी-खुशी लगा देंगे. कुछ इसी तरह की बयानबाजी अतीत में इंदिरा गांधी के समय भी कांग्रेस के नेता कर चुके हैं और ऐसे नेता कई बार देश के सर्वोच्च पद तक भी पहुंचे हैं.
लेकिन क्या बीजेपी भी उसी डगर पर चल रही है. बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के प्रति कार्यकर्ताओं की दीवानगी का ही असर था कि पार्टी ने मोदी की छवि की चिंता नहीं कर उन्हें अपना सर्वोच्च नेता बना लिया. लेकिन मोदी के प्रति दीवानगी अब चापलूसी में बदलने लगी है.
दिल्ली में मोदी की रैली 29 सितंबर को होनी है, जिसकी तैयारी जोरशोर से चल रही है. बीजेपी की दिल्ली इकाई ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा मोदी के शंखनाद के बाद ही करने का मन बनाया है. लेकिन बीजेपी के राजनैतिक इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा जब किसी नेता की रैली से पहले बाकायदा उस स्थल का भूमि पूजन होने जा रहा है. दिल्ली बीजेपी ने 19 सितंबर को 11 बजे रोहिणी के जापानी पार्क में भूमि पूजन का कार्यक्रम रखा है. नरेंद्र मोदी की रैली से पहले सभा स्थल पर भूमि पूजन इस तरह किया जाएगा मानो वहां 29 सितंबर को बीजेपी के भगवान अवतरित होने वाले हैं.
मोदी के प्रति बीजेपी में चापलूसी की परंपरा गुजरात विधानसभा चुनाव में उनकी हैट्रिक जीत के साथ ही हो चुका था. जिसकी बानगी कई नेताओं के बयानों में झलक चुकी है. राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह खुद अपने नई पारी के पहले दिन से ही मोदी को सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेताओं में शुमार करते रहे हैं. हालांकि उनके इस बयान को सुषमा स्वराज सरीखे नेता कई बार निजी राय बताकर खारिज भी कर चुकी हैं.
लेकिन बिहार में नीतीश कुमार से गठबंधन खत्म होने के बाद बीजेपी की राज्य कार्यकारिणी ने तो बाकायदा प्रस्ताव पारित कर मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने की मंशा जाहिर कर दी थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री सी.पी. ठाकुर तो मोदी की तुलना महात्मा गांधी से कर चुके हैं. गोवा में नरेंद्र मोदी को बीजेपी की चुनाव अभियान समिति की बागडोर सौंपे जाने के बाद दिल्ली इकाई की कार्यकारिणी में तो प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मोदी को बाकायदा बधाई देने का प्रस्ताव लाने की मांग कर दी थी, लेकिन अध्यक्ष विजय गोयल ने यह कहते हुए उनकी मांग खारिज कर दी कि मोदी को पहले ही पार्टी और देश की ओर से बधाईयां मिल चुकी है.