दिल्ली के चिड़ियाघर से वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है. पहली बार सफेद बाघिन सीता के दो शावकों को उनके जन्म के बाद पिंजरे से बाड़े में लाया गया. केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने छोटे शावकों का नाम रखा.
मादा शावक को अवनी और नर शावक को वियोम नाम से पुकारा जाएगा. दोनों शावक अपनी मां के साथ बाड़े से बाहर निकलना और भीतर जाना सीख गए हैं. अब इन्हें स्वतंत्र रूप से बाड़े में उछलकूद करने की छूट मिल गई है. पहली बार लोग इनके दीदार कर सकेंगे.
शावकों के लिए अखाड़े में बनाया गया छोटा तालाब
बता दें, सफेद बाघिन सीता ने आठ महीने पहले इन शावकों को दिल्ली चिड़ियाघर में ही जन्म दिया था. सुरक्षा कारणों से दोनों शावको को चिड़ियाघर से अलग रखा गया था. अब दोनों शावक आठ महीने के हो गए हैं और पूरी तरह से अपने परिवार के साथ अखाड़े में रहने के लिए तैयार हैं.
अखाड़े में शावकों के लिए खेलने के एक छोटा सा तलाब बनाया गया है. ये नन्हें शावक अपनी मां के पीछे-पीछे पानी में डूबकी लगाने का प्रयास करते हैं. फिर पानी से तुरंत ही बाहर आ जाते हैं. गर्मी को देखते हुए इनके बाड़े में वाटर स्प्रिंकलर, वाटर पूल का भी इंतजाम किया गया है.
अब इनका परिवार पांच सदस्यों का हो गया है
दिल्ली चिड़ियाघर में तीन सफेद वयस्क बाघ-बाघिन हैं. पिछले साल 24 अगस्त को सीता नाम की सफेद बाघिन ने जुड़वां शावकों को जन्म दिया था. अब इनका पांच सदस्यों का परिवार हो गया है. सफेद बाघ सामान्य बाघ से थोड़े अलग होते हैं. अमूमन बाघ लाल-पीले मिश्रित रंग के होते हैं. इन पर काले रंग की धारियां होती हैं. वक्ष का भीतरी भाग और पैरों का रंग सफेद होता है. इनके बच्चे करीब छह महीने में खेलने कूदने लगते हैं.
सफेद बाघ-गाघिन के शरीर पर हल्के काले रंग की धारियां होती हैं
सफेद बाघ-गाघिन के शरीर पर हल्के काले रंग की धारियां होती हैं. इनके बच्चे आकार में सामान्य बाघों से बड़े, लेकिन कम फुर्तीले होते हैं. दो से तीन साल में ये परिवक्व हो जाते हैं. इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि प्राकृतिक रूप से करीब 10,000 सामान्य बाघों में जीन परिवर्तन के कारण सफेद बाघ का जन्म होता है. प्राणि उद्यान में संकरण के माध्यम आसानी से इनका जन्म कराया जाता है.