दिल्ली में व्यापारियों ने जनता से टैक्स लिया और फिर दिल्ली सरकार और बैंक के रिकॉर्ड में टैक्स जमा भी कर दिया. सब कुछ रिकॉर्ड पर आ गया लेकिन 5 वर्षों से एक भी रुपये सरकार को नहीं मिले.
इस बात का खुलासा खुद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने किया और बताया कि कैसे व्यापारियों ने दिल्ली सरकार को ही करोड़ों रुपये का चूना लगा दिया.
सिसोदिया ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस पूरे मामले को लेकर आर्थिक अपराध शाखा में FIR दर्ज करा दी है और विभाग से इस पूरे मामले में जांच करने को कहा है. उन्होंने कहा कि विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की किसी तरह की मिलीभगत होने पर उन्हें बख्शा नहीं जाएगा.
दअरसल, दिल्ली सरकार को कुछ महीने पहले ही इस घोटाले की सूचना मिली थी जिसके बाद सरकार ने अपने स्तर पर जांच शुरू की. जांच में पाया गया कि दिल्ली के 8700 कारोबारियों ने फर्जी बैंक नाम से बैंक अकाउंट बनाया और टैक्स जमा करने के लिए फर्जी आईडी बनाई.
इन लोगों ने दिल्ली सरकार के जीएसटी विभाग का आईडी और पासवर्ड क्रैक किया, साथ ही दिल्ली सरकार जिन 27 बैंकों से लेनदेन करती है उनमें से 13 बैंकों में फर्जी आईडी और पासवर्ड क्रैक कर अभी तक करोड़ों का चूना लगाया.
दस्तावेज में देखने पर टैक्स जमा हो गया है ऐसा दिखता था. जबकि वास्तविक रूप से ऐसा नहीं होता था. अभी तक जांच में 262 करोड़ के टैक्स की हेराफेरी हुई है. शुरुआती जांच के मुताबिक ये खेल 2013 से चल रहा था. दिल्ली सरकार ने मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दी है.
साथ ही मनीष सिसोदिया ने कहा कि फिलहाल शुरुआती जांच में ये मामला 2013 का लगता है इसलिए हमने पूरी तरह से जांच करने को कहा है. हो सकता है ये मामला और पहले का हो और पैसे और ज्यादा हों.