दिल्ली में बाइक टैक्सी पर लगाई गई रोक के खिलाफ बाइक टैक्सी चालकों के एक वर्ग ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखा है. इस पत्र में एलजी से दिल्ली सरकार के प्रतिबंध को हटाने में मदद करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की गई है. पत्र में आगे कहा गया है कि नीति के अभाव में उन्हें (बाइक टैक्सी चालक) शहर की सड़कों पर चलने से रोक दिया गया है.
बता दें कि दिल्ली सरकार ने इस हफ्ते की शुरुआत में शहर की सड़कों पर बाइक टैक्सी चलाने के लिए नीति के अभाव में रैपिडो और उबर जैसी ऐप-आधारित टैक्सी सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था. गुरुवार को चालकों ने उपराज्यपाल कार्यालय को सौंपे ज्ञापन में कहा है कि दिल्ली सरकार उनकी सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने पर अड़ी है.
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा HC का फैसला
ज्ञापन में कहा गया है कि घर का खर्च चलाने, अपने बच्चों को शिक्षित करने और अपने माता-पिता का इलाज कराने में बाइक टैक्सी चालकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि इस रोक के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था. इस आदेश में दिल्ली सरकार को नई नीति तैयार होने तक उनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा गया था. साथ ही रैपिडो और उबर को अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय राजधानी में संचालित करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी.
एग्रीगेटर्स को पत्र लिखेगी सरकार
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अनिरुद्ध बोस और राजेश बिंदल की एक अवकाश पीठ ने दो एग्रीगेटर्स को दिल्ली हाईकोर्ट में उनकी दलीलों की तत्काल सुनवाई का अनुरोध करने की इजाजत दी है. परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा के मुताबिक सरकार एग्रीगेटर्स को पत्र लिखेगी और मीडिया के माध्यम से उनसे उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करने या कार्रवाई का सामना करने की अपील भी करेगी.
वकील ने यह दी थी दलील
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बिना वैध लाइसेंस के बाइक टैक्सी के मुद्दे पर केंद्र और दिल्ली सरकार से सवाल पूछे थे. कोर्ट ने पूछा था कि कोई अधिसूचना किसी एक्ट पर कैसे हावी हो सकती है? बाइक टैक्सी सेवा उपलब्ध कराने वाली कंपनी उबर के वकील नीरज किशन कौल ने दलील दी थी कि हर राज्य सरकार को इस संबंध में नीति बनाने की शक्ति का प्रावधान संविधान में है. लेकिन दिल्ली सरकार ने इसके बावजूद कोई गाइडलाइन या नीति बनाई ही नहीं है, जबकि मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 66 में साफ लिखा है कि बिना वैध लाइसेंस के किसी भी व्यवसायिक वाहन के मालिक को वाहन नहीं दिया जा सकता.