दिल्ली की एक अदालत ने एक कारोबारी को दो साल तक आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करने के मामले में एक साल कैद की सजा सुनाते हुए कहा कि कर चोरी बढ़ती जा रही है और इसे कड़ाई से रोका जाना चाहिए.
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट देवेंद्र कुमार शर्मा ने एक निजी कंपनी के निदेशक हरीश भसीन को एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई. भसीन ने 2006-07 और 2007-08 के लिए रिटर्न फाइल नहीं किया था.
आयकर विभाग ने कहा था कि 2006-07 में भसीन की कर योग्य आय 11.98 करोड़ रुपये आंकी गयी थी और इस पर कर राशि करीब 4 करोड़ रुपये देय थी. 2007-08 में भसीन की कर योग्य आय 34 करोड़ से अधिक आंकी गयी और इस पर कर देय करीब 10 करोड़ रुपये था.
दोनों साल के लिए अलग अलग मामले दर्ज किये गये थे. अदालत ने एक मामले में कारोबारी को छह महीने की कैद की सजा सुनाई गयी और इसी अपराध को दोहराने पर दूसरे मामले में एक साल की सजा सुनाई. हालांकि 50,000 रुपये का निजी मुचलका जमा करने पर कारोबारी की सजा को 9 सितंबर तक स्थगित कर दिया गया.