बीजेपी के मौजूदा पार्षदों ने बड़े नेताओं के खिलाफ तेवर दिखाना शुरू कर दिया है. मंगलवार को तीनों निगमों के 100 से ज्यादा बीजेपी पार्षदों ने सिविक सेंटर में गुपचुप ढंग से कई घंटों तक मीटिंग की.
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक के दौरान उस फैसले को लेकर चर्चा की गई जिसमें मौजूदा पार्षदों को टिकट नहीं देने का ऐलान किया गया है. दरअसल पार्षदों की इस अंदरूनी बैठक का मकसद बीजेपी के बड़े नेताओं पर दबाव बनाना था.
पार्षद पर नकारात्मक असर
पार्षदों के मुताबिक मौजूदा पार्षदों को टिकट ना देने का फैसला ठीक नहीं है. इससे क्षेत्र में उनके खिलाफ नकारात्मक असर पड़ रहा है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं ने प्रचार करना शुरू कर दिया कि बीजेपी के सभी पार्षद भ्रष्ट हैं. लिहाजा उनका टिकट काट दिया गया.
टिकट पर दोबारा विचार करे BJP
कुछ पार्षदों ने कहा कि वे निर्दलीय तौर पर जीतकर आए और बाद में बीजेपी में शामिल हुए. ऐसे में उन्हें टिकट मिलना चाहिए.
मीटिंग में उन पार्षदों ने भी हिस्सा लिया, जो उपचुनाव में जीते थे. वे भी दलील दे रहे हैं कि उनके टिकट पर पार्टी को दोबारा विचार करना चाहिए.
अच्छी छवि के पार्षदों को टिकट की मांग
बीजेपी पार्षदों की बैठक में 3-4 वरिष्ठ पार्षदों को प्रतिनिधि बनाने पर सहमति हुई ताकि वो आलाकमान से मुलाकात कर यह संदेश पहुंचाएं कि मौजूदा और अच्छी छवि वाले पार्षदों को फिर से टिकट दिया जाए. बैठक खत्म होने के बाद बीजेपी पार्षद 'भारत माता की जय' के नारे लगाते हुए कमरे से बाहर निकले.
बड़े नेताओं के घर पहुंचे पार्षद
सवाल पूछने पर पार्षद मुस्कुराते रहे और बैठक में आगे की रणनीति पर हुई चर्चा का ज़िक्र करके दोबारा नारे लगाने लगे. मीटिंग के बाद सभी पार्षदों ने बीजेपी के बड़े नेताओं के घर की ओर कूच किया.
मौजूदा पार्षदों को टिकट ना देने का फैसला
आपको बता दें कि बीजेपी ने अपने 153 मौजूदा पार्षदों, उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को टिकट नहीं देने का फैसला लिया है. इससे पार्षदों का राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ गया है.