दिल्ली में सरकार बनाने को लेकर सस्पेंस बढ़ता ही जा रहा है. अब सरकार गठन को लेकर बीजेपी दो हिस्सों में बंटी नजर आ रही है. दिल्ली के कुछ सांसद जोड़-तोड़ करके सरकार बनाने के खिलाफ बताए जा रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, पूर्व दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता और आरती मेहरा जोड-तोड़ के खिलाफ हैं. कई सांसद मानते हैं कि दिल्ली में सरकार बनाने से आम आदमी पार्टी को फिर से उभरने का मौका मिलेगा. बीजेपी को पार्टी की छवि बचाने की भी चिंता है.
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा है कि जब उपराज्यपाल बुलाएंगे, वे तभी सोचेंगे कि कहां से संख्या बल आएगा. सतीश उपाध्याय ने कहा कि हमारे सभी विकल्प खुले हैं. हालांकि कहा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी ही दिल्ली में सरकार गठन को लेकर प्रदेश बीजेपी को अपनी 'हां' या 'ना' सुना सकते हैं. यानी आखिरी फैसला मोदी ही करने वाले हैं.
कांग्रेस ने AAP के सामने रखा फॉर्मूला!
बीजेपी की सक्रियता के बीच एक और समीकरण सामने आया है. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के कई विधायकों ने AAP के समर्थन से सरकार बनाने का सुझाव दिया है. इस फॉर्मूले के मुताबिक, पहले दो साल के लिए कांग्रेस AAP से समर्थन लेगी और तब तक सीएम और सभी मंत्री कांग्रेस के ही होंगे. बाद के ढाई साल कांग्रेस AAP को समर्थन देगी. तब AAP का सीएम होगा व कैबिनेट भी उसकी ही होगी. हालांकि इस पेशकश की कांग्रेस ने पुष्टि नहीं की है.
आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी
इससे पहले, अरविंद केजरीवाल को बीजेपी विधायक आरपी सिंह ने एक करोड़ का लीगल नोटिस भेजा है. दिल्ली के पूर्व सीएम ने बीजेपी पर 20-20 करोड़ में विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश का आरोप लगाया था. बीजेपी विधायक आरपी सिंह ने कहा कि अगर सबूत हैं, तो केजरीवाल पेश करें.
केजरीवाल के विधायक खरीद-फरोख्त के आरोप का गृहमंत्री राजनाथ सिंह पहले ही खंडन कर चुके हैं. उन्होंने गुरुवार को साफ शब्दों में कहा कि बीजेपी न तो ऐसी खरीद-फरोख्त करती है, न कभी करेगी.