दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामना करने के बाद असम में बीजेपी ने सबक लेते हुए अपने सांसदों और प्रदेश के बड़े नेताओं की जिम्मेदारी तय कर दी है. पार्टी नेतृत्व को लगता है कि यूपी में भी असम की तरह ही अपने सांसदों प्रदेश नेताओं को भरोसे में लेकर ही चुनावी फैसला करने में पार्टी को फायदा मिलेगा. बीजेपी अब टिकट बंटवारे में भी अब अपने सांसदों की पसंद और फीडबैक को ज्यादा तव्वजो दे रही है.
सांसदों को मिला टारगेट
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को बीजेपी हर हाल में जीतना चाहती है. बीजेपी ने 2017 का यूपी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए अपने सांसदों और प्रदेश नेताओं के टारगेट फिक्स कर दिए हैं. बीजेपी ने अपने सभी सांसदों से उनके संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले हर विधानसभा से तीन योग्य उम्मीदवारों का नाम भी मांगा है. पार्टी नेतृत्व ने सांसदों को कहा है कि पार्टी उनके उम्मीदवार को टिकट देने के लिए गंभीरता से विचार करेगी.
टारगेट पूरा होने पर ही मिलेगा लोकसभा का टिकट
पार्टी ने सांसदों के सामने एक बड़ा लक्ष्य रखा है कि सभी सांसदों को अपने लोकसभा क्षेत्र में आने वाली पांच विधानसभा सीटों में से तीन विधानसभा में पार्टी का परचम लहरना होगा. खास बात ये है कि पार्टी ने सांसदों को साफ-साफ कह दिया है कि जो लक्ष्य उन्हें दिया गया हैं, उसका रिजल्ट ही तय करेगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर से उन्हें लोकसभा का टिकट दिया जाए या नहीं.'
सांसदों के लिए मुसीबत
कुल मिलाकर यह लक्ष्य सांसदों के लिए दोधारी तलवार पर चलने की तरह साबित होगा, क्योंकि अगर उसके उम्मीदवार को टिकट नहीं मिला, तो वो काम भी नहीं करेगा और भितरघात करके अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार को हराने के लिए पूरी कोशिश करेगा, जिसका नुकसान आखिरकार पार्टी को ही होगा.