दिल्ली के बवाना अग्निकांड में 17 लोगों की मौत के बाद राजनीति शुरू हो गई है. विपक्ष में बैठी बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर पलटवार करते हुए उसे हादसे के लिए ज़िम्मेदार बताया है. बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने रविवार को कि बवाना औद्योगिक क्षेत्र स्वीकृत औद्योगिक क्षेत्र है जिसकी देखरेख का ज़िम्मा पूरी तरह से दिल्ली सरकार के पास है.
बीजेपी सांसद लेखी ने ये भी कहा कि यहां अवैध निर्माण ना हो ये देखना भी सरकार के दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (DSIIDC) का काम है. लेखी ने आरोप लगाया कि इस फैक्टरी में बाल मजदूरी हो रही थी लेकिन दिल्ली सरकार का श्रम विभाग कहां था? फैक्टरी में पटाखे बन रहे थे लेकिन दिल्ली सरकार का अग्निशमन विभाग और पर्यावरण विभाग क्या कर रहा था?
सांसद लेखी ने कहा कि जब सब कुछ दिल्ली सरकार के अधीन है तो एमसीडी पर उंगली क्यों उठायी जा रही है? लेखी ने कहा कि नॉर्थ एमसीडी ने फरवरी 2015 को ही हादसे वाली फैक्ट्री का लाइसेंस निरस्त करके DSIIDC को सूचित कर दिया था. ऐसे में अब DSIIDC ही बताये की ये अवैध फैक्ट्री कैसे चल रही थी?
लेखी ने बताया कि 2012 के एमसीडी चुनाव से पहले जारी घोषणा पत्र में बीजेपी ने वादा किया था कि अनावश्यक लाइसेंस खत्म किये जायेंगे और इसी के चलते उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने 6 अक्टूबर, 2015 को एक प्रस्ताव पारित कर दिल्ली सरकार को सूचित कर दिया था कि अब एमसीडी वहां लाइसेंस देने का काम नहीं करना चाहती.
एमसीडी ने इसके पीछे वजह बताई थी कि बवाना स्वीकृत औद्योगिक क्षेत्र की कोई भी सेवा एमसीडी के अधीन नहीं है ऐसे में वो यहां लाइसेंस नही देना चाहती.
मेयर का किया बचाव
सांसद लेखी ने नार्थ दिल्ली प्रीति अग्रवाल का वायरल हो रहे वीडियो में उनका बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा. वो नार्थ एमसीडी के उस रेसोल्यूशन के बारे में बात कर रही थी जिसे 2015 में पारित किया गया था.
मेयर प्रीति अग्रवाल ने भी कहा कि एक ज़िम्मेदारी भरे पद पर होने के कारण वो बिना जांच-परख कोई बयान नहीं देना चाहती थी इसलिए उन्होंने लाइसेंस वाले रेसोल्यूशन के बारे में जानकारी ली. लेकिन सीएम केजरीवाल ने वीडियो खुद ट्वीट की और अपने मंत्रियों की जवाबदेही बचाने के लिए वीडियो को मुद्दा बनाया ताकि उनके लापरवाही पर से सबका ध्यान हट जाए.
50 लाख मुआवजा मिले
बीजेपी ने मांग की है कि बवाना अग्निकांड मामले में मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना बहुत कम है क्योंकि जो लोग मारे गए हैं वो अपने परिवार में कमाने वाले इकलौते थे. ऐसे में उनके परिजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए ताकि परिवार की आर्थिक मदद हो सके.