आप के 20 विधायकों के मसले पर दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि माननीय न्यायालय ने 20 विधायकों को अस्थायी राहत दी है और चुनाव आयोग को उन्हें दोबारा सुनने का निर्देश दिया है. इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि न्यायालय ने 20 विधायकों को दोषमुक्त नहीं करार दिया है. उन्होंने कहा कि माननीय न्यायालय ने मूल विषय लाभ के पद के मामले को और राष्ट्रपति की अनुशंसा पर कोई सवाल खड़े नहीं किये हैं.
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि हम माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते हैं. आयोग में सुनवाई की लगभग ढाई वर्ष की अवधि में चुनाव आयोग द्वारा 12 से भी अधिक बार सुनवाई के अवसर दिए गए, परन्तु जानबूझकर इन्हें नजरअंदाज किया गया. न्यायालय ने यह माना कि उन्हें सुनवाई का पुनः हक दिया जाना चाहिए. उसने लाभ के पद और राष्ट्रपति की अनुशंसा जैसे मूल विषयों की पुष्टि की है.
विजेन्द्र गुप्ता ने आम आदमी पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं पर आरोप लगा रही है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संवेदनशील मामले का राजनीतिकरण किया जा रहा है. 'आप' का हर्ष में डूबकर संवैधानिक सीमाएं लांघना शोभा नहीं देता. उच्च न्यायालय का निर्णय एक न्यायिक प्रक्रिया है और हम सबको इसका गरिमापूर्वक सम्मान करना चाहिए. इसको लेकर राजनीति करना न्यायोचित नहीं है.
वहीं, आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि 20 विधायकों के मामले में उच्च न्यायलय का निर्देश भारतीय लोकतंत्र एवं न्यायपालिका की स्वतंत्रता का प्रमाण है. उन्होंने कहा कि न्यायालय ने पुनः सुनवाई का निर्देश दिया है. विधायकों को लाभ के पद से दोष मुक्त नहीं किया.
मनोज तिवारी ने कहा कि 20 विधायकों पर लाभ के पद के मामले में आज दिल्ली उच्च नयायलय द्वारा चुनाव आयोग को पुनः सुनवाई करने का निर्देश भारतीय लोकतंत्र एवं न्यायपालिका की स्वतंत्रता का एक अनूठा प्रमाण है.
तिवारी ने कहा कि भाजपा ने जिस तरह न्यायालय एवं चुनाव आयोग के पिछले निर्देशों का स्वागत किया था, उसी तरह हम आज के निर्देश का भी सम्मान करते हैं. निश्चित तौर पर चुनाव आयोग को पुनः सुनवाई करनी चाहिये. साथ ही हमें यह भी ध्यान रखना चाहिये कि न्यायालय ने पुनः सुनवाई के लिए आवश्य कहा है, पर उन्हें लाभ के पद के दोष से मुक्त नहीं किया है.
इस मामले में केंद्र सरकार के वकील अनिल सोनी ने कहा कि फिलहाल आज के आदेश में कोर्ट ने माना है चुनाव आयोग में विधायकों को सुनवाई का पूरा मौका नहीं दिया इसलिए मामले की दोबारा सुनवाई की जाए. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा है कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का केस बनता है और चुनाव आयोग इस पर सही सुनवाई कर रहा था.
केंद्र सरकार के वकील अनिल सोनी ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि आप के विधायकों को कोर्ट से मिली राहत कही भी ये साबित नहीं करती कि कोर्ट ने उन्हें ऑफिस ऑफ प्रॉफ्रिट के मामले में उन्हें बेकसूर माना है. इस मामले में अब फिलहाल चुनाव आयोग के पास दो विकल्प है, पहला वो सभी 20 विधायकों को दोबारा नोटिस करें और उन्हें सुने और दूसरा हाइकोर्ट के आज के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दें.
अभी के लिए यह आम आदमी पार्टी के विधायकों के लिए राहत है क्योंकि आज के आदेश में कोर्ट ने चुनाव आयोग की राष्ट्रपति को भेजी सिफारिशों को रद्द कर दिया है. लेकिन यह आखिरी फैसला नहीं है, बल्कि दोबारा इस मामले में चुनाव आयोग ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के केस में सुनवाई करेगा और दोबारा यह तय होगा कि इन सभी विधायकों पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का केस बनता है या नहीं.
उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि क्योंकि चुनाव आयोग को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले की दोबारा सुनवाई करने के आदेश दिए हैं. लिहाजा चुनाव आयोग की पिछली सिफारिशों को रद्द माना जाएगा और साथ ही राष्ट्रपति के नोटिफिकेशन को भी रद्द माना जाएगा.