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बवाना की हार के बाद BJP का मिशन इलेक्शन, ये है नया मास्टरप्लान

दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि शहरी विकास मंत्रालय में नए मंत्री बने हैं और उनके आते ही दिल्ली को कूड़ा निपटान के लिए शुरुआती 300 करोड़ का बजट मिल गया है. ये काम की शुरुआत है, अब एमसीडी किसी भी काम या फंड के लिए केजरीवाल का मुंह नहीं ताकेगी.

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फाइल फोटो।
फाइल फोटो।

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दिल्ली बीजेपी अब सांसदों के साथ मिलकर राजधानी में आम चुनाव के लिए जमीनी स्तर पर तैयार करेगी. बवाना विधानसभा के उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद बीजेपी ने अगले चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है. पार्टी हाईकमान ने दिल्ली के सातों सांसदों को दिल्ली की जमीन बचाने की जुगत में लगाया है, ताकि अगले चुनाव में कम से कम उनकी सीटें सुरक्षित रहें.  

पार्टी में अब शीर्ष नेतृत्व की तरफ से लोकसभा चुनावों के लिए अल्टीमेटम मिल गया है और अब इसी को ध्यान में रखकर नए सिरे से पार्टी की गतिविधियां तय की जा रही हैं. संगठन के साथ साथ पार्टी की सत्ता वाली तीनों एमसीडी को टारगेट दिया गया है, जिसमें न सिर्फ काम करना है, बल्कि उसका प्रचार करने में कोई कमी नहीं रखनी है. यह सब सांसदों की देखरेख में होगा, जो अपने अपने इलाके में न सिर्फ विकास के कामों की निगरानी करेंगे, बल्कि ये भी तय करेंगे कि फंड खर्च हो रहा है या नहीं.

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दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि शहरी विकास मंत्रालय में नए मंत्री बने हैं और उनके आते ही दिल्ली को कूड़ा निपटान के लिए शुरुआती 300 करोड़ का बजट मिल गया है. ये काम की शुरुआत है, अब एमसीडी किसी भी काम या फंड के लिए केजरीवाल का मुंह नहीं ताकेगी.

तिवारी के मुताबिक दिल्ली के सभी सांसदों ने मिलकर हाल ही में दिल्ली को जाम से छुटकारा दिलाने और राजधानी को रहने के हिसाब से और बेहतर करने के उपायों पर मंथन किया है. साथ ही केंद्रीय सडक परिवहन मंत्रालाय के जरिए 34 हज़ार करोड़ रुपए की योजना से दिल्ली को रफ्तार देने की शुरुआत भी हो गई है.

बीजेपी इस सप्ताह में दिल्ली के विकास के लिए अपना ब्लू प्रिंट भी पेश करेगी, जिसमें अब तक किए कामों के साथ ही आने वाले वक्त की योजनाओं का खाका होगा, जिन्हें समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा. पार्टी की ये कवायद शीर्ष नेतृत्व से मिले उस संकेत के बाद शुरु हुई है, जिसमें 2018 के अंत को चुनावी टारगेट लेकर चलने की बात है.

सूत्रों के मुताबिक अगर सबकुछ सही रहा तो 2019 में तय आम चुनाव 2018 के आखिर में ही कराए जा सकते हैं. पार्टी की राज्य इकाई को मिला टारगेट भी इसी ओर इशारा कर रहा है.

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