चुनाव आयोग को डर है कि इस बार दिल्ली विधानसभा चुनावों में नेता ब्लैकमनी लगा सकते हैं. इस पर रोक लगाने के लिए आयोग ने कमर कस ली है. दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी ने ब्लैक मनी के इस्तेमाल को पकड़ने के लिए सरकारी बैंक, फाइनेंनशियल इंटेलिजेंस यूनिट और आयकर विभाग के साथ अहम बैठक की.
आयोग ने अफसरों को निर्देश दिए कि एक सीमा से ऊपर होने वाले सभी नकद लेन-देन की जानकारी सीधे हर जिले के चुनाव अधिकारियों को मुहैया कराए.
बैंकों को संदेहास्पद लेन-देन पर भी नज़र रखने की हिदायत दी गई है. बैंक ऐसी सभी जानकारियां एक तय फॉर्म में भरकर ज़िला चुनाव कार्यालयों में जमा करवाएंगे. हर जिले में बैंक से संबंधित एक-एक जानकार को बतौर नोडल अफसर तैनात किया गया है.
दरअसल इस बार चुनाव आयोग ने हर उम्मीदवार का चुनाव खर्च 14 लाख तय कर दिया है. ऐसे में पूरी आशंका है कि उम्मीदवार बैक डोर से पैसा लगाएंगे. चुनाव आयोग किसी भी कीमत पर इसे रोकना चाहता है.
जो पार्टी साफ सुथरे चुनाव और प्रशासन को एजेंडा बनाकर सियासी मैदान में उतरी है वो आदर्श चुनाव आचार संहिता तोड़ने में सबसे आगे है. हम बात कर रहे हैं आम आदमी पार्टी की, चुनाव नियम तोड़ने वालों में दिल्ली सरकार के मंत्री तक शामिल हैं.
आम आदमी पार्टी यानी ईमानदार पार्टी, केजरीवाल के इस नारे की सच्चाई तब सामने आ गई जब महज चंद दिनों में उसके खिलाफ चुनाव नियम तोड़ने के 53 मामले दर्ज हो गए. ये मामले दिल्ली डिफेसमेंट एक्ट के तहत दर्ज किए गए हैं. सियासी दलों के खिलाफ अब तक 212 मामले दर्ज हो चुके हैं. इनमें 45 मामले बीजेपी के खिलाफ दर्ज किए गए हैं. कांग्रेस के खिलाफ भी 43 मामले दर्ज किए गए हैं. बीएसपी के खिलाफ 13 मामले दर्ज हुए हैं.
ताज्जुब की बात ये है कि चुनाव नियम तोडऩे वालों में दिल्ली सरकार के मंत्री एके वालिया भी शामिल हैं. वालिया को इसके लिए नोटिस भी भेजा गया है. सरकारी भवनों से कुल 3357 पोस्टर बैनर हटाए गए हैं. निजी भवनों से भी 1445 पोस्टर हटाए गए हैं.
जाहिर है चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव आयोग ने दिल्ली डिफेसमेंट कानून के तहत काफी सख्त कार्रवाई की है. कुमार कुणाल, दिल्ली आजतक