संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाली एक आरोपी नीलम आज़ाद ने अपनी रिहाई की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दाखिल की. दिल्ली हाई कोर्ट में नीलम आज़ाद की ओर से दाखिल याचिका मे आरोप लगाया कि उनकी गिरफ्तारी अवैध और संविधान के अनुच्छेद 22(1) का उल्लंघन है. आजाद का कहना है कि उनको दोपहर में गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन इसकी सूचना उनके परिजनों को शाम को दी गई. वही कानूनों के विपरीत 29 घंटे बाद पेश किया गया जबकि गिरफ्तारि के 24 घंटे के भीतर उन्हें पेश किया जाना चाहिए था.
आरोपी नीलम आजाद ने निचली अदालत द्वारा दी गई पुलिस हिरासत को भी चुनौती दी है. याचिका पर कल दिल्ली हाईकोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की जाएगी.
दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर यूनिट कर रही है जांच
13 नवंबर को संसदा का शीतकालीन सत्र चल रहा था. इसी दौरान सागर शर्मा और मनोरंजन डी शून्यकाल के दौरान सार्वजनिक गैलरी से लोकसभा में कूद गए. उन्होंने वहां पीला धुआं फैला दिया और नारे भी लगाए. इसी दौरान सांसदों ने उन्हें पकड़ लिया. लगभग उसी समय, दो अन्य लोग अमोल शिंदे और नीलम देवी ने संसद परिसर के बाहर "तानाशाही नहीं चलेगी" चिल्लाते हुए भी पीला धुआं छोड़ा. इन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस की पूछताछ पता चला कि आरोपी सरकार को अपनी मांगें पूरी करने के लिए मजबूर करने के लिए देश में "अराजकता पैदा करना चाहते थे". इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर यूनिट कर रही है.
तीन लेयर में है संसद भवन की सुरक्षा व्यवस्था
लोकसभा और राज्यसभा में अपने डायरेक्टर सिक्योरिटी सिस्टम होते हैं. विजिटर पास के लिए लोकसभा सचिवालय के फॉर्म पर किसी सांसद का रिकमेंडेशन सिग्नेचर जरूरी होता है. इसके साथ ही विजिटर को पास के लिए आधार कार्ड ले लाना होता है. विजिटर जब रिसेप्शन पर पहुंचता है, तो वहां मौजूद सुरक्षा गार्ड महिला और पुरुष को अलग-अलग फ्रिस्किंग करके जांच करते हैं. इसके बाद रिसेप्शन पर फोटो आईडी कार्ड बनता है. मोबाइल फोन को रिसेप्शन पर ही जमा कर लिया जाता है. इसके बाद विजिटर फोटो आइडेंटिटी कार्ड के साथ सिक्योरिटी कमांडो के जरिए गैलरी तक पहुंचता है. विजिटर गैलरी में ठहरने के लिए एक समयावधि होती है, जिसके बाद उसे बाहर कर दिया जाता है.